scriptप्रदूषण से बचाव में रुमाल या स्कार्फ की सीमित भूमिका | Scarf or handkerchief play limited role in protecting from pollution | Patrika News

प्रदूषण से बचाव में रुमाल या स्कार्फ की सीमित भूमिका

Published: Aug 20, 2016 06:47:00 pm

एमहर्स्ट स्थित युनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन
में कहा, इस तरह के कपड़े कुछ हद तक ही प्रदूषण से बचाव करते हैं

scarf

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न्यूयॉर्क। अत्यधिक प्रदूषण वाले इलाकों में चेहरा रुमाल या स्कार्फ से ढंक कर हम यह मान बैठते हैं कि प्रदूषण अब हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लेकिन यह बस आपकी छोटी-सी गलतफहमी है। एक नए शोध में यह जानकारी सामने आई है। भारत व अन्य एशियाई देशों में धूलकणों (पर्टिकुलेट मैटर) से बचाव के लिए लोग अक्सर रुमाल या स्कार्फ का इस्तेमाल करते हैं।

एमहर्स्ट स्थित युनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में कहा, इस तरह के कपड़े कुछ हद तक ही प्रदूषण से बचाव करते हैं, जबकि इनकी तुलना में बाजार में मिलने वाले मास्क कहीं बेहतर प्रदर्शन करते हैं। एक शोधकर्ता रिचर्ड पेल्टियर ने कहा, हमारे लिए सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस तरह के मास्क पहनने वाले लोग अपने आपको सुरक्षित महसूस करते हैं, लेकिन हमें इस बात की चिंता है कि यदि वे किसी डीजल ट्रक के सामने खड़े हो जाएं, और फिर सोचें कि वे सुरक्षित हैं।”

शोधकर्ताओं के दल ने नेपाल में चार प्रकार के मास्क का परीक्षण किया। कपड़ों से निर्मित मास्क ने बेहतर प्रदर्शन किया और 80-90 फीसदी कृत्रिम कणों तथा डीजल गाडय़िों से निकलने वाले लगभग 57 फीसदी हानिकारक कणों को दूर रखा। वहीं, मास्क के रूप में इस्तेमाल में लाया गया रुमाल व स्कार्फ 2.5 माइक्रोमीटर से कम आकार के कणों से बचाने में बेहद सीमित तौर पर लाभकारी साबित हुआ, जो बड़े कणों की तुलना में अधिक हानिकारक है, क्योंकि वे फेफड़े की गहराई तक पहुंच जाते हैं।

शोध दल के हिस्सा रहे कबींद्र शाक्य ने कहा, हमारा अध्ययन यह दर्शाता है कि लोगों को यह पता होना चाहिए कि रुमाल या स्कार्फ बेहद सीमित रूप से उनका बचाव करते हैं। लेकिन बात तो यही है कि कुछ नहीं से अच्छा कुछ तो है। यह निष्कर्ष ‘एक्सपोजर साइंस एंड एन्वायरमेंटल एपिडेमियोलॉजी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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