scriptनिर्माता-निर्देशक सतीश कौशिक को मिला कानूनी नोटिस | A person sent legal notice to director Satish Kaushik | Patrika News

निर्माता-निर्देशक सतीश कौशिक को मिला कानूनी नोटिस

Published: May 03, 2015 04:22:00 pm

फिल्म निर्माता-निर्देशक सतीश कौशिक को अपने जीवन की कहानी वापस करने का कानूनी नोटिस भेजा है

satish kaushik

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लखनऊ। पूरे 18 साल की कानूनी लड़ाई के बाद मृतक से जिंदा घोषित हुए उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले लाल बिहारी ने प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक सतीश कौशिक को अपने जीवन की कहानी वापस करने का कानूनी नोटिस भेजा है। आजमगढ़ के मुबारकपुर के रहने वाले लाल बिहारी को राजस्व रिकार्ड में मृत घोषित कर दिया गया था। 30 जुलाई 1976 को राजस्व रिकार्ड में मृत घोषित किए गए लाल बिहारी को 18 साल की कानूनी लड़ाई के बाद 30 जून 1994 को जिंदा माना गया। उनकी जीवन की गाथा इतनी दिलचस्प थी कि हिन्दी फिल्मों के निर्माता-निर्देशक उनकी ओर आकर्षित हुए। इसी क्रम में “रूप की रानी चोरों का राजा”, “प्रेम”, “तेरे नाम” जैसी फिल्मों के निर्देशक सतीश कौशिक ने लाल बिहारी की कहानी उनके जीवन पर फिल्म बनाने के लिए ली।

लाल बिहारी ने 2003 में कौशिक को अपनी कहानी दी थी। कौशिक का वादा था कि वह जल्द ही इस कहानी पर फिल्म बनाएगे जिसमें बचपन की भूमिका लाल बिहारी के लड़के को देने की बात कही गई थी। कौशिक को पिछले महीने भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि बारह साल बीत जाने के बाद भी फिल्म नहीं बन पाई है, लिहाजा कहानी वापस की जाए ताकि दूसरे निर्माता-निर्देशक को उसे दिया जा सके। बिहारी ने कहा कि कई विदेशी फिल्मों के निर्माता-निर्देशक अब उनके पास आ रहे हैं, लेकिन कहानी कौशिक के पास है। इसके अलावा कुछ धारावाहिक के निर्माता भी उनके सम्पर्क में हैं। कुछ साहित्यकार उनके जीवन पर उपन्यास भी लिखना चाहते हैं। नोटिस के मुताबिक कौशिक ने कहानी के एवज में 51 हजार रूपये देने का वायदा किया था, जिसमें 25 हजार अग्रिम के रूप में दिए गए। बचे 26 हजार फिल्म बनने के बाद दिए जाने थे। उन्होंने कहा कि पटकथा लेखक के अलावा “बाजार” जैसी फिल्म के निर्माता-निर्देशक सागर सरहदी भी उनके जीवन पर फिल्म बनाने को उत्सुक हैं।

लाल बिहारी ने खुद को जिंदा साबित करने के लिए न सिर्फ कानूनी लड़ाई लड़ी, बल्कि इलाहाबाद में विश्वनाथ प्रताप सिंह और अमेठी से दिवंगत राजीव गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़ा। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा में पर्चे फेंके और गिरफ्तार हुए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जिंदा साबित करने के लिए होने वाली सुनवाई में उन्हें लाल बिहारी मृतक हाजिर हो कह कर बुलाया जाता था, लिहाजा उन्होंने अपने नाम के साथ मृतक भी जोड़ लिया। खुद को जिंदा साबित करने के बाद अब वह ऎसे लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं, जो जिंदा तो हैं लेकिन राजस्व रिकार्ड में मृत घोषित कर दिए गए हैं। उनका दावा है कि अब तक पांच हजार से ज्यादा लोगों को वह कानूनी रूप से राजस्व रिकार्ड में जिंदा घोषित करा चुके हैं। ऎसे करीब तीन हजार मुकदमें अभी भी अदालत में विचाराधीन हैं।
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