मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के करोंद क्षेत्र में बाघ ने लगातार आठ घंटे तक आतंक मचा दिया। गुरुवार सुबह करीब 5:30 बजे बैरसिया रोड में नबीबाग स्थित
केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान परिसर (सीआईए) में बने मकान की छत पर
बाघ को देखा गया। जिसके बाद खबर आग की तरह फैल गई। दो-तीन मिनट में ही काफी
भीड़ जमा हो गई। थोड़ी देर बाद वन विभाग की टीम को सूचित किया गया।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के करोंद क्षेत्र में बाघ ने लगातार आठ घंटे
तक आतंक मचा दिया। गुरुवार सुबह करीब 5:30 बजे बैरसिया रोड में नबीबाग
स्थित
केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान परिसर (सीआईए) में बने मकान की छत पर
बाघ को देखा गया। जिसके बाद खबर आग की तरह फैल गई। दो-तीन मिनट में ही काफी
भीड़ जमा हो गई। थोड़ी देर बाद वन विभाग की टीम को सूचित किया गया।
करीब नौ बजे पहुंचे रेस्क्यू दल ने 8 घंटे की मशकक्त के बाद बाघ को पकडऩे में बड़ी कामयाबी हासिल की। वन विभाग की टीम बाघ को वन विहार ले गई है, जहां उसका मेडिकल चेकअप कर उसे शिफ्ट करने की योजना बनाई जाएगी।
जानकारी के मुताबिक मंडलोई के चीखते ही लोगों का मजमा जुड़ गया। जब लोगों ने बाघ को देखा तो उनके होश उड़ गए। मौके पर दहशत फैल गई। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने दूसरे मकान की छत पर चढ़कर बाघ को बेहोश करने के लिए एक के बाद एक पांच बार उस पर ट्रेंक्यूलाइजर से निशाना लगाया, तब जाकर बाघ बेहोश हुआ। रेस्क्यू टीम अब बाघ को जाल में बांधकर ले जा रही।
वन विहार के अधिकारियों ने बताया कि ये बाघ पीटी-1 है, जो समरधा रेंच से होते हुए यहां तक पहुंचा था। नरेला विधायक विश्वास सारंग भी खबर लगते ही मौके पर पहुंच गए। सारंग ने बचाव अमले को निर्देश दिए कि वे बाघ को ऐसे काबू करें, ताकि कोई और उसका शिकार न बन पाए। सारंग खुद सीआईए सेंटर की बिल्डिंग पर ऊपर चढ़ गए और वहीं से अंदर बैठे बाघ की हरकतों का जायजा लेते रहे।
मौके पर पहुंचे डीएफओ एके सिंह के मुताबिक बाघ की उम्र 3 से 4 साल के बीच है। यह बाघ केरवा और कलियासोत में सक्रीय बाघ से अलग है। यह बाघ समरधा रेंज के प्रेमपुरा से बालमपुर क्षेत्र में विचरण करता है। शायद शिकार के चलते भटक कर यहां तक आ गया होगा। उन्होंने बताया कि बाघ को बेहोश कर वन विहार स्थित रेस्क्यू सेंटर ले जाया जाएगा। जहां 15 दिन तक चिकित्सकों की देखरेख में रखा जाएगा। इसके बाद इसे पुन: इसके क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा।
वन विभाग की टीम को टाइगर को बेहोश करने के लिए गन से दवा देने में काफी परेशानी हो रही थी पर चार बार के प्रयास के बाद को बेहोश कर दिया गया। दरअसल बाघ एक छत पर आराम से सो रहा था। गन से दवा उसकी रेंज तक नहीं पा रही थी। नगर निगम से हाईड्रोलिक मशीन बुलाई गई।