उन्होंने कहा, ”शायद सीबीएफसी (केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड) से ‘बच्चों’ को बाहर निकालने और उन्हें ‘सात उचक्के’ और ‘हरामखोर’ जैसी वयस्क फिल्मों पर फैसला करने से रोकने का समय आ गया है।”
फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ के सह-निर्माता कश्यप ने फिल्म में 89 कट लगाने के सेंसर बोर्ड के फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी थी। सेंसर बोर्ड की सुधार समिति ने 13 कट के साथ फिल्म रिलीज की अनुमति दी थी।
निर्माताओं ने फैसले के खिलाफ बम्बई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसने सीबीएफसी के फैसले को रद्द करते हुए केवल एक कट के साथ फिल्म रिलीज की मंजूरी दे दी थी।
‘उड़ता पंजाब’ के बाद कश्यप की एक अन्य फिल्म ‘हरामखोर’ को भी सीबीएफसी की आपत्तियों का सामना करना पड़ा था। सेंसर बोर्ड ने शिक्षक और छात्र की प्रेम कहानी पर आधारित फिल्म की कहानी पर आपत्ति जताई थी। अब ‘सात उचक्के’ को भी सेंसर बोर्ड की आपत्तियों का सामना करना पड़ रहा है।