scriptबी.आर. चोपड़ा ने बदल दिया बॉलीवुड का इतिहास | Birth anniversary of B. R. Chopra | Patrika News

बी.आर. चोपड़ा ने बदल दिया बॉलीवुड का इतिहास

Published: Apr 21, 2015 02:32:00 pm

बी.आर.चोपड़ा को ऎसे फिल्मकार के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने पारिवारिक और सामाजिक फिल्मों की दिशा दी

B R chopra

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मुंबई। भारतीय सिनेमा जगत में बी.आर.चोपड़ा को एक ऎसे फिल्मकार के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने बॉलीवुड में पारिवारिक और सामाजिक फिल्मों की दिशा दी। उन्होंने अपने पहले टेलीविजन धारावाहिक महाभारत से टेलीविजन पर भी एक नया इतिहास रच दिया। आज ही के दिन 22 अप्रेल 1914 को पंजाब के लुधियाना शहर में जन्में बी.आर. चोपड़ा उर्फ बलदेव राय चोपड़ा बचपन के दिनों से ही फिल्मों में काम करना चाहते थे।

बी.आर.चोपड़ा ने अपने करियर की शुरूआत बतौर फिल्म पत्रकार के रूप में की। वर्ष 1949 में फिल्म करवट से उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म बाक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल हो गई। वर्ष 1951 में अशोक कुमार अभिनीत फिल्म अफसाना को बी.आर. चोपड़ा ने निर्देशित किया। इस फिल्म की सफ लता के बाद वे फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए।

“नया दौर” से प्रोडक्शन हाउस की शुरूआत

साल 1955 मे चोपड़ा ने बी.आर.फिल्मस बैनर का निर्माण किया। बी.आर. फिल्मस के बैनर तले उन्होंने सबसे पहले फिल्म “नया दौर” का निर्माण किया। फिल्म नया दौर के माध्यम से उन्होंने आधुनिक युग और ग्रामीण संस्कृति के बीच टकराव को रूपहले पर्दे पर पेश किया जो दर्शकों को काफी पसंद आया। फिल्म नया दौर ने सफ लता के नये कीर्तिमान स्थापित किए। अपने भाई और जाने माने निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा को शोहरत की बुलंदियो पर पहुंचाने में उनका अहम योगदान रहा है।

आशा भोंसले की बदली किस्मत
सुप्रसिद्ध पाश्र्वगायिका आशा भोंसले को कामयाबी के शिखर पर निर्माता-निर्देशक बी.आर. चौपड़ा की फिल्माें का अहम योगदान रहा है। पचास के दशक में जब आशा भोंसले को केवल बी और सी ग्रेड की फिल्मों मे ही गाने का मौका मिला करता था। चोपड़ा ने आशा भोंसले की प्रतिभा को पहचाना और अपनी फिल्म नया दौर में गाने का मौका दिया। यह फिल्म आशा भोंसले के सिने करियर की पहली सुपरहिट फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में मोहम्मद रफी और आशा भोंसले के गाए युगल गीत बहुत लोकप्रिय हुए जिनमें मांग के साथ तुम्हारा, उड़े जब जब जुल्फें तेरी, गीत शामिल हैं।

आशा भोंसले के अलावा पाश्र्वगायक महेन्द्र कपूर को भी हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करनें में चोपड़ा की अहम भूमिका रही। अस्सी के दशक में स्वास्थ्य खराब रहने के कारण उन्होंने फिल्म का निर्माण करना कुछ कम कर दिया। वर्ष 1985 में बी.आर चोपड़ा ने दर्शकाें की नब्ज पहचानते हुए छोटे पर्दे की ओर भी रूख कर लिया। दूरदर्शन के इतिहास में अब तक सबसे कामयाब सीरियल महाभारत के निर्माण का श््रेय भी बी.आर. चोपड़ा को ही जाता है।

गिनीज बुक ऑफ वरल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज

लगभग 96 प्रतिशत दर्शकाें तक पहुंचने के साथ हीं इस सीरियल ने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में भी दर्ज कराया। बी.आर. चौपड़ा को मिले सम्मान पर यदि नजर डाले वर्ष तो वह 1998 में हिन्दी सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किए गए। बहुमुखी प्रतिभा के धनी बी.आर. चौपड़ा ने फिल्म निर्माण के अलावा बागवान और बाबुल की कहानी भी लिखी। अपनी निर्मित फिल्मों से दर्शको के बीच खास पहचान बनाने वाले फिल्मकार बी.आर. चोपड़ा 5 नवंबर 2008 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।
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