वर्ष 1940 में दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद आगे की
पढ़ाई के लिए उन्होंने विजयवाड़ा के एसआरआर और सीवीआर कॉलेज में दाखिला लिया। पढ़ाई
के दौरान वह परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए विजयवाड़ा के स्थानीय होटलों में दूध
वितरित करने का काम करते थे। स्त्रातक की पढ़ाई करने के लिए एन.टी. रामा राव ने
वर्ष 1945 में आन्ध्र-क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया। वर्ष 1942 में 20 वर्ष की
अवस्था में एन टी रामा राव ने अपने मामा की बेटी के साथ विवाह हो गया। इन दोनों के
आठ बेटे और चार बेटियां थीं। इनके दो पुत्रों का निधन हो चुका
है।
मना देसम (1949) फिल्म में पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाने के साथ ही एन.टी. रामा राव ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरूआत की। इसके बाद वह अंग्रेजी नाटक पिजारो पर आधारित एक फिल्म पल्लेतुरी पिल्ला में दिखाई दिए. यह फिल्म एक बहुत बड़ी व्यावसायिक हिट साबित हुई। एन.टी रामा राव ने लगभग 320 फिल्मों में अभिनय किया था। एन.टी. रामा राव अधिकांशत हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित फिल्में करते थे। उन्होंने भगवान राम, कृष्ण, भीष्म आदि के किरदार अदा किए थे.
एन.टी. रामा राव की प्रतिभा और फिल्मी योगदान के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनके नाम पर एनटीआर नेशनल अवॉर्ड दिया जाता है जो राष्ट्रीय स्तर पर कला क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड के बाद दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है।
राज्य को कांग्रेस के आधिपत्य से निजात दिलवाने के लिए एन.टी. रामा राव ने वर्ष 1982 में तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की. जब एन.टी. रामा राव ने राजनैतिक पारी की शुरूआत की उस समय वह एक सफल और लोकप्रिय अभिनेता थे. वर्ष 1983 में सर्वसम्मति से एन.टी. रामा राव को तेलुगु देशम विधायक दल का नेता चयनित किया गया, जिसमें दस कैबिनेट मंत्री और पांच राज्य मंत्री थे. एन.टी. रामा राव आंध्र-प्रदेश के दसवें मुख्यमंत्री थे. 1983 से 1994 के बीच वह तीन बार इस पद के लिए चुने जा चुके थे. अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने जन मानस को एकत्र करना शुरू किया. महिलाओं और समाज के अन्य पिछड़े वगोंü को मुख्य धारा में लाने का कार्य किया । इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद जब पूरे देश में कांग्रेस की लहर दौड़ पड़ी थी तब एन.टी. रामा राव के ही कारण अकेले आंध्र-प्रदेश में कांग्रेस नहीं जीत पाई थी। वर्ष 1989 में खराब स्वास्थ्य के कारण एन.टी रामा राव चुनाव प्रचार में भाग नहीं ले पाए, जिसके परिणामस्वरूप उनकी पार्टी हार गई। 1994 में एन.टी. रामा राव दोबारा सत्ता में लौटे। जिसमें अकेले 226 सीटों पर तेलुगु देशम पार्टी की विजय हुई।
वर्ष 1995 में उन्होंने पार्टी से सन्यास ले लिया और अपने दामाद नारा चंद्रबाबू नायडू को अपना स्थान दे दिया जो तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष हैं और आंध्र-प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं.
मना देसम (1949) फिल्म में पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाने के साथ ही एन.टी. रामा राव ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरूआत की। इसके बाद वह अंग्रेजी नाटक पिजारो पर आधारित एक फिल्म पल्लेतुरी पिल्ला में दिखाई दिए. यह फिल्म एक बहुत बड़ी व्यावसायिक हिट साबित हुई। एन.टी रामा राव ने लगभग 320 फिल्मों में अभिनय किया था। एन.टी. रामा राव अधिकांशत हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित फिल्में करते थे। उन्होंने भगवान राम, कृष्ण, भीष्म आदि के किरदार अदा किए थे.
एन.टी. रामा राव की प्रतिभा और फिल्मी योगदान के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनके नाम पर एनटीआर नेशनल अवॉर्ड दिया जाता है जो राष्ट्रीय स्तर पर कला क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड के बाद दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है।
राज्य को कांग्रेस के आधिपत्य से निजात दिलवाने के लिए एन.टी. रामा राव ने वर्ष 1982 में तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की. जब एन.टी. रामा राव ने राजनैतिक पारी की शुरूआत की उस समय वह एक सफल और लोकप्रिय अभिनेता थे. वर्ष 1983 में सर्वसम्मति से एन.टी. रामा राव को तेलुगु देशम विधायक दल का नेता चयनित किया गया, जिसमें दस कैबिनेट मंत्री और पांच राज्य मंत्री थे. एन.टी. रामा राव आंध्र-प्रदेश के दसवें मुख्यमंत्री थे. 1983 से 1994 के बीच वह तीन बार इस पद के लिए चुने जा चुके थे. अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने जन मानस को एकत्र करना शुरू किया. महिलाओं और समाज के अन्य पिछड़े वगोंü को मुख्य धारा में लाने का कार्य किया । इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद जब पूरे देश में कांग्रेस की लहर दौड़ पड़ी थी तब एन.टी. रामा राव के ही कारण अकेले आंध्र-प्रदेश में कांग्रेस नहीं जीत पाई थी। वर्ष 1989 में खराब स्वास्थ्य के कारण एन.टी रामा राव चुनाव प्रचार में भाग नहीं ले पाए, जिसके परिणामस्वरूप उनकी पार्टी हार गई। 1994 में एन.टी. रामा राव दोबारा सत्ता में लौटे। जिसमें अकेले 226 सीटों पर तेलुगु देशम पार्टी की विजय हुई।
वर्ष 1995 में उन्होंने पार्टी से सन्यास ले लिया और अपने दामाद नारा चंद्रबाबू नायडू को अपना स्थान दे दिया जो तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष हैं और आंध्र-प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं.