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नसीरुद्दीन शाह ने समानांतर फिल्मों को नया आयाम दिया

Published: Jul 20, 2017 12:41:00 pm

बॉलीवुड में नसीरुद्दीन शाह ऐसे ध्रुव तारे की तरह हैं जिन्होंने सशक्त
अभिनय से समानांतर सिनेमा के साथ-साथ व्यावसायिक फिल्मों में खास पहचान
बनाई हैं…

Naseeruddin Shah

Naseeruddin Shah

मुंबई। बॉलीवुड में नसीरुद्दीन शाह ऐसे ध्रुव तारे की तरह हैं जिन्होंने सशक्त अभिनय से समानांतर सिनेमा के साथ-साथ व्यावसायिक फिल्मों में खास पहचान बनाई हैं। 20 जुलाई 1950 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जन्मे नसीरुद्दीन ने प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और नैनीताल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने स्नातक की पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से की। वर्ष 1971 में अभिनेता बनने का सपना लिए उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया। वर्ष 1975 में उनकी मुलाकात जाने माने फिल्म निर्माता एवं निर्देशक श्याम बेनेगल से हुई। श्याम बेनेगल उन दिनों फिल्म निशांत बनाने की तैयारी कर रहे थे। इस मुलाकात के दौरान बेनेगल ने नसीरुद्दीन को एक उभरते हुए सितारे के तौर पर देखा और अपनी फिल्म में काम करने का अवसर दे दिया।



वर्ष 1976 नसीरुद्दीन के फिल्मी कॅरियर के लिए अहम साबित हुआ। इसी वर्ष उनकी भूमिका और मंथन जैसी सफल फिल्में भी प्रदर्शित हुईं। दुग्ध क्रांति पर बनी फिल्म मंथन में दर्शकों को नसीरुद्दीन के अभिनय के नए रंग देखने को मिले। इस फिल्म के निर्माण के लिए गुजरात के लगभग पांच लाख किसानों ने अपनी प्रति दिन मिलने वाली मजदूरी में से दो-दो रुपए फिल्म निर्माताओं को दिए थे। यह फिल्म सुपरहिट साबित हुर्इ।


वर्ष 1977 में अपने मित्र बैंजमिन गिलानी और टॉम आल्टर के साथ मिलकर नसीरुद्दीन ने मोटेले प्रोडक्शन नामक एक थियेटर ग्रुप की स्थापना की, जिसके बैनर तले सैमुयल बैकेट के निर्देशन में पहला नाटक ‘वेटिंग फार गोडोट’ पृथ्वी थियेटर में दर्शकों के बीच दिखाया गया। वर्ष 1979 मे प्रदर्शित फिल्म ‘स्पर्श’ में नसीरुद्दीन के अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। इस फिल्म में अंधे व्यक्ति की भूमिका निभाना किसी भी अभिनेता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। चेहरे के भाव से दर्शकों को सब कुछ बता देना नसीरुद्दीन की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था। जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाए। इस फिल्म में उनके लाजवाब अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।

वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म ‘आक्रोश’ नसीरुद्दीन के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है। गोविन्द निहलानी निर्देशित इस फिल्म में नसीरुद्दीन एक ऐसे वकील के किरदार में दिखाई दिए जो समाज और राजनीति की परवाह किए बिना एक ऐसे बेकसूर व्यक्ति को फांसी के फंदे से बचाना चाहता है। हालांकि इसके लिए उसे काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। वर्ष 1983 में नसीरुद्दीन शाह को सई परांजपे की फिल्म ‘कथा’ में काम करने का अवसर मिला। फिल्म की कहानी मे कछुए और खरगोश के बीच दौड़ की लड़ाई को आधुनिक तरीके से दिखाया गया था। फिल्म में फारूख शेख ने खरगोश की भूमिका में दिखाई दिए जबकि नसीरुद्दीन शाह कछुए की भूमिका में थे।


वर्ष 1983 में नसीरुद्दीन के सिने कैरियर की एक और सुपरहिट फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ प्रदर्शित हुई। कुंदन शाह निर्देशित इस फिल्म में नसीरुद्दीन के अभिनय का नया रंग देखने को मिला। इस फिल्म से पहले उनके बारे में यह धारणा थी कि वह केवल संजीदा भूमिकाएं निभाने में ही सक्षम है लेकिन इस फिल्म उन्होंने अपने जबरदस्त हास्य अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वर्ष 1985 में नसीरुद्दीन के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म ‘मिर्च मसाला’ प्रदर्शित हुई। सौराष्ट्र की आजादी के पूर्व की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म मिर्च मसाला ने निर्देशक केतन मेहता को अंतराष्ट्रीय ख्याति दिलाई थी। यह फिल्म सामंतवादी व्यवस्था के बीच पिसती औरत की संघर्ष की कहानी बयां करती है। अस्सी के दशक के आखिरी वर्षो में नसीरुद्दीन शाह ने व्यावसायिक सिनेमा की ओर भी अपना रूख कर लिया। इस दौरान उन्हें हीरो हीरा लाल ‘मालामाल’, जलवा, त्रिदेव जैसी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला जिसकी सफलता के बाद नसीरुद्दीन शाह को व्यावसायिक सिनेमा में भी स्थापित कर दिया।

नब्बे के दशक में नसीरुद्दीन ने दर्शकों की पसंद को देखते हुए छोटे पर्दे का भी रूख किया और वर्ष 1988 में गुलजार निर्देशित धारावाहिक मिर्जा गालिब में अभिनय किया। इसके अलावा वर्ष 1989 में भारत एक खोज धारावाहिक में उन्होंने मराठा राजा शिवाजी की भूमिका को जीवंत कर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।

अभिनय में एकरुपता से बचने और स्वयं को चरित्र अभिनेता के रूप में भी स्थापित करने के लिए नब्बे के दशक में उन्होंने स्वयं को विभिन्न भूमिकाओं में पेश किया। इस क्रम में 1994 में प्रदर्शित फिल्म ‘मोहरा’ में वह खल चरित्र निभाने से भी नहीं हिचके। इस फिल्म में भी उन्होंने दर्शकों का मन मोहे रखा। इसके बाद उन्होंने टक्कर ‘हिम्मत, चाहत, राजकुमार और सरफरोश और कृष जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाकर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।

नसीरुद्दीन के सिने करियर में उनकी जोड़ी स्मिता पाटिल के साथ काफी पसंद की गई। नसीरुद्दीन अब तक तीन बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके है। इन सबके साथ ही नसीरुद्दीन तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए है। फिल्म के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए वह भारत सरकार की ओर से पदमश्री और पदमभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किए जा चुके है। नसीरुद्दीन शाह ने तीन दशक लंबे सिने करियर में अबतक लगभग 200 फिल्मों में अभिनय किया है। नसीरुद्दीन आज भी उसी जोशोखरोश के साथ फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय है।

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