मुनिबा मजारी ने महिला अधिकरों की जंग को जीतते हुए अपना मुकाम हासिल कर लिया है। और उन्होने यह भी साबित कर दिया कि हिम्मत हो तो कुछ भी नामुमकिन नही। मुनिबा मजारी को पाकिस्तान की पहली संयुक्त राष्ट्र सद्भावना दूत बनाया गया है। उनको यह जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र की ईकाई ने सौपी। यह ईकाई सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के लिए काम करती है।
दोनों पैरों से अक्षम मजारी ने कहा कि वह देश में लैंगिक भेदभाव खत्म करने और समानता को बढ़ावा देंगी। और इस काम के लिए वो इस ईकाई के साथ मिलकर मेहनत से काम करेंगी। संयुक्त राष्ट्र लैंकिग समानता पर ‘2030 प्लैनेट 50-50’ के अर्न्तगत काम कर रहा है।
कार हादसें में खो दिए थे दोनो पैर
मजारी का जन्म 3 मार्च, 1987 को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हुआ था। वो सात साल पहले 2001 में कार हादसे की चपेट मे आ गई थीं। अपने गृहनगर रहीम यार खान जाते समय उनकी कार खाई में जा गिरी। हादसे में उनकी रीढ़ में गंभीर चोट लगी जिसके कारण उनके दोनो पैर लकवाग्रसित हो गए।
अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद भी उन्होने पेंटिंग सीखी। उसके बाद फाइन ऑर्ट में स्नातक की डिग्री भी हासिल की। इसके बाद उन्होंने अपनी जिंदगी अक्षम लोगों को समर्पित कर दी। खाली समय में वह मॉडलिंग का भी शौक रखती हैं।
व्हीलचेयर पर बैठकर एंकरिंग करने वाली पहली महिला
मजारी पाकिस्तान की जानी-मानी पेंटर, लेखक और प्रेरक वक्ता हैं। वह पाकिस्तान के एक टीवी चैनल के लिए एकरिंग भी करती हैं। मजारी एकमात्र ऐसी एंकर हैं, जो व्हीलचेयर पर बैठकर शोज करती है। और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के अधिकारों के लिए आवाज उठाती हैं।