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जिंदगी, फैमिली, प्यार और काम पर कैटरीना ने कही बड़ी बातें, यहां पढ़ें

Published: Aug 30, 2016 09:02:00 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

‘बार बार देखो’ के प्रमोशन के लिए कैटरीना और सिद्धार्थ आए जयपुर…दोनों सितारों ने राजस्थान पत्रिका मुख्यालय केसरगढ़ की विजिट की..

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जयपुर। फिल्म बार बार देखो के प्रमोशन के लिए अभिनेत्री कैटरीना कैफ और अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा मंगलवार को जयपुर आए। इस दौरान दोनों सितारों ने राजस्थान पत्रिका मुख्यालय केसरगढ़ की विजिट की। यहां बातचीत में जहां कैटरीना ने जिंदगी फैमिली, प्यार और काम के बारे में खुलकर बोलीं, वहीं सिद्धार्थ ने भी फिल्म में अपने रोल व कुछ निजी बातें साझा कीं…


हर रिलेशनशिप में प्रॉब्लम आती है: कैटरीना
 बार बार देखो एक साधारण प्रेम कहानी है, जिसमें जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव को बड़ी ही खूबसूरती के साथ दर्शाया गया है। दर्शकों के लिए यह बताना जरूरी है कि फिल्म में सिर्फ रोमांस ही नहीं है, बल्कि इसमें एक खास मैसेज भी छिपा हुआ है। इसमें जिंदगी के बारे में बात है, तो फैमिली वैल्यू की भी बात की गई है। प्यार है, तो काम को लेकर सोच को भी दर्शाया गया है। जिंदगी के सफर में कई सारे बदलाव आते हैं, जो हमें कुछ न कुछ सिखाते हैं या हम यू कहें कि जिंदगी से मिलने वाली सीख से हम आगे बढ़ते हैं। आज की युवा पीढ़ी जिस तरह की सोच रखती है, उसके बारे में उन्हें सबक जरूरी है, तभी उनमें बदलाव भी आएगा। बार बार देखो में ऐसी ही बातों को उठाया गया है। आज के युवाओं और नपई पीढ़ी के लिए जरूरी है कि वो अपनी सोच को बदलें। जिदंगी सिर्फ काम और मस्ती का नाम नहीं है। इसमें रिश्ते-नाते और फैमिली की अहम भूमिका है। इसके बिना जिंदगी अधूरी है।

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दरअसल, हम प्रॉब्लम का सामना करने की बजाय उससे भागना पसंद करते हैं। हर किसी की जिंदगी में प्रॉब्लम आती हैं, इसका रूप अलग हो सकता है…मसलन, फैमिली में प्रॉब्लम…जॉब की प्रॉब्लम…रिश्तों में प्रॉब्लम…प्यार में प्रॉब्लम…। लेकिन जिस तरह से जिंदगी जीने का अंदाज बदला है, उसके चलते ये सब चीजें बेमतलब सी हो गई हैं। कोई भी इन्हें गंभीरता से नहीं लेता। ऐसा लगता है, जैसे लोगों ने जिंदगी में रिश्तों की अहमियत खो दी है। हमारी फिल्म बार बार देखो युवाओं की इसी सोच को बदलने का काम कर सकती है। मेरे इसमें कई सारे शेड्स हैं। युवा नजर आउंगी, तो 60 साल की बूढ़ी भी। यह फिल्म मेरे लिए पूरी जिंदगी जीने के जैसी है। मेरे कॅरियर में कई उतार-चढ़ाव आए। कुछ फिल्में नहीं चलीं, उनका अफसोस है, लेकिन हमेशा सफलता ही मिले, यह कोई जरूरी नहीं। विफलता से सफलता का रास्ता खुलता है। जीवन में जो भी चीजें घटती हैं, चाहे वो अच्छी हों या बुरी…उन्हीं से इंसान सीखता है और आगे बढ़ता है।

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न रिजेक्शन से डरा… ना हिम्मत हारी:सिद्धार्थ मल्होत्रा 
जिंदगी में कभी-कभी पीछे मुड़कर देखता हूं, तो आज जहां हूं, वहां होने का यकीन ही नहीं होता, लेकिन मुश्किलों से लड़कर यहां पहुंचा हूं, तो इसे भरपूर एंजॉय कर रहा हूं। अब तो मेरी मां का भी मुढ पर गर्व होता है, जबकि बचपन में वो मुझसे बेहद परेशान रहती थीं। पढऩे-लिखने में औसत था। एक बार फेल भी हो चुका हूं। पढ़ाई को लेकर मां के हाथों पिट भी चुका हूं। लेकिन माता-पिता का अपने बच्चों के प्रति गुस्सा जायज होता है। असल में वो चाहते हैं उनका बच्चा जिंदगी में कुछ करे। कुछ बन जाए और इसके लिए जरूरी है अच्छी पढ़ाई। फिर मेरी मां तो वैसे भी मिडिल क्लास की सोच वाली थीं, लेकिन डांट-फटकार मेरे हमेशा काम आई। आज जो कुछ भी हूं उनके आशीर्वाद से हूं। जहां तक पापा की बात है, तो उन्हें मेरी फिक्र रहती थी, लेकिन कभी जताते नहीं थे। ‘बार बार देखो’ में दर्शकों को मेेरे किरदार में उनकी झलक भी नजर आएगी। दरअसल, उम्रदराज रोल के लिए मैंने पापा को रेफरेंस के रूप में इस्तेमाल किया। मैं अपने किरदार को फिल्मी तरीके से नहीं निभाना चाहता था। कुछ ऐसा करना चाहता था, जो रिएलिस्टिक लगे। दर्शक मेरे अधेड़ावस्था को देखकर दंग रह जाएंगे। किरदार चैलेंजिंग था, लेकिन इसे करने में बहुत मजा आया। फिल्म के किरदार, कहानी हमें बहुत कुछ सिखाती है।

मॉडलिंग करते करते मुंबई पहुंच गया…
सुन रखा था कि हर रोज एक्टर बनने के लिए देश के कोने-कोने से लड़के-लड़कियां मुंबई आते हैं। चूंकि बॉलीवुड में मेरा कोई गॉड फादर नहीं था, इसलिए संघर्ष करके ही कुछ हासिल करना था। शुरुआत में कई ऑडिशन दिए और रिजेक्ट कर दिया गया। मुंबई में ऑडिशन देने का मौका मिलना भी बहुत बड़ी बात होती है। शुरु में तो मैं कमर्शियल शूट के लिए ऑडिशन देता, ताकि पैसे कमा सकूं और घर का खर्च चल जाए। मुंबई में रेंट में रहना भी बहुत महंगा पड़ता है। करीब दो दर्जन से भी ज्यादा मैंने ऑडिशन दिए, जिसमें से कुछ में ही सलेक्ट हुआ। वह मेरे लिए बहुत बुरा दौर था। इसके बाद हमें जिस फिल्म के लिए बुलाया गया था, वह बनने से पहले ही डिब्बा बंद हो गई। जैसे ही खबर मिली कि वो फिल्म बंद हो गई है अब नहीं बनेगी, तो ऐसा लगा,मानो हमारे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई हो। वहे बेहद मुश्किल दौर था। वो घर भी खाली करना पड़ा। इसके बावजूद मैंने हिम्मत नहीं हारी…ना ही रिजेक्शन का डर लगा…। एक दिन मेहनत रंग लाई और बॉलीवुड के नामचीन बैनर धर्मा प्रोडक्शन से मैं स्टूडेंट्स ऑफ ईयर बन गया। आज 31 साल की उम्र में आकर मुझे लगता है कि नाम और पैसा मैंने कमा लिया। अब जरूरी है जीवन में बैलेंस…। जिंदगी को पॉजिटिव ढंग से लो…तो सबकुछ अच्छा ही होता है। बार बार देखो से मुझे बहुत उम्मीदें हैं, क्योंकि यह फिल्म मेरे जीवन व कॅरियर के लिए बहुत मायने रखती है। इंडस्ट्री में मेरे कई अच्छे दोस्त है, उन्हीं में से एक है आलिया भट्ट। हमारी दोस्ती की सबसे अच्छी बात यह है कि हम एक-दूसरे के बारे में अपनी राय खुलकर रख सकते हैं। 



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