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बहन को बस में बैठाकर खुद पैदल जाते थे मनोज वाजपेयी

मनोज वाजपेयी की बहन पूनम ने स्ट्रगल के दिनों को याद करते हुए बताया कि भाई एनएसडी के बाद दिल्ली में काम के लिए लगातार स्ट्रगल कर रहे थे

Jan 07, 2016 / 08:06 am

सुनील शर्मा

Manoj Bajpai

Manoj Bajpai

‘बिहार के चंपारन जिले के बाहर किसी भी लड़की ने पढ़ाई के लिए कदम नहीं रखा, लेकिन इस सीमा रेखा को पार करके दिल्ली में फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई करने वाली मैं पहली लड़की थी। यह सब सिर्फ बड़े भाई मनोज वाजपेयी के कारण ही संभव हो पाया।’ यह कहना है फैशन डिजाइनर पूनम दुबे का। गौरतलब है कि एक्टर मनोज वाजपेयी की छोटी बहन पूनम एक एनजीओ के प्रोजेक्ट के तहत ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग देने जयपुर आई हैं।

इस दौरान पत्रिका प्लस से खास बातचीत में पूनम ने स्ट्रगल के दिनों को याद करते हुए बताया कि मनोज भाई एनएसडी के बाद दिल्ली में काम के लिए लगातार स्ट्रगल कर रहे थे, जब हम दोनों सुबह घर से निकलते, तो वो मुझे हाथ में दो रुपए का सिक्का देकर बस में बिठा देते थे और खुद पैदल अपने थिएटर गु्रप तक जाते थे। भाई के एेसे स्ट्रगल को देखकर मैं हमेशा रात को रोया करती थी और ईश्वर से प्रार्थना करती थी कि भाई को उनकी मंजिल जल्द मिल जाए।

उन्होंने बताया कि हम छह बहन-भाई हैं। बचपन से ही हमें एेसी जगह पढ़ाया गया, जहां एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटीज पर काम किया जाता है। भाई बचपन से ही थिएटर में रुचि रखते थे और एनएसडी के बाद तो एक अलग ही मनोज नजर आने लगे थे। भाई का स्ट्रगल हमारे परिवार के लिए मिसाल है। उन्होंने एनएसडी की पढ़ाई से लेकर दिल्ली के स्ट्रगल तक घर से एक पैसा भी नहीं लिया।

बिना डायलॉग के मिली प्रशंसा

पूनम ने बताया कि जब मनोज भाई को फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ में काम मिला, तो यह हमारे लिए सबसे अच्छी खबर थी। इस फिल्म में भाई नजर तो आए, लेकिन ज्यादा डायलॉग नहीं मिले। घर पर भाई को कम डायलॉग मिलने का गम था, लेकिन ‘मुम्बई’ में भाई के निभाए कैरेक्टर मानसिंह की जबरदस्त चर्चा हुई। इस फिल्म के बाद भी कई छोटे-छोटे रोल किए, लेकिन ड्रीम रोल नहीं मिल पा रहा था। इसलिए मुम्बई से वापस घर आने का मन बना लिया। भाई के घर लौटने की खबर महेश भट्ट को लगी, तो उन्होंने भाई को रोका। फिर भाई को ‘सत्या’ फिल्म मिल गई। उसके बाद भाई की खूब चर्चा हुई और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

पिता ने बनाया एक्टर


पूनम ने बताया कि हमारे पिता भी थोड़ी बहुत एक्टिंग किया करते थे। उन्हें कोलकाता में एक फिल्म ऑफर भी हुई, लेकिन घरवालों को इस काम के लिए सहमत नहीं कर पाए। पिता ने हमेशा मनोज भाई को एक्टिंग में आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। पिताजी हमेशा भाई को फिल्म देखने के लिए रुपए दिया करते थे, जिससे उनकी एक्टिंग के प्रति जिज्ञासा बढ़ती गई।

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