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यहां जानें नवाजुद्दीन ने किस बात के लिए ठहराया शाहरुख खन को जिम्मेदार

Published: Jan 12, 2017 10:04:00 am

सेंसर बोर्ड से लम्बी लड़ाई के बाद आखिरकार फिल्म हरामखोर 13 जनवरी को रिलीज हो रही है

Nawazuddin Siddiqui

Nawazuddin Siddiqui

जयपुर। रमन राघव 2.0, मांझी : द माउंटेन मैन जैसी फिल्मों में दमदार अदाकारी दिखाने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी फिलहाल श्लोक शर्मा के निर्देशन वाली अपनी फिल्म हरामखोर के रिलीज होने की राह देख रहे हैं। सेंसर बोर्ड से लम्बी लड़ाई के बाद आखिरकार फिल्म 13 जनवरी को रिलीज हो रही है। नवाज ने बताया कि जब यह छोटे बजट वाली फिल्म साइन की थी, तब खुद उनका वजूद भी मामूली ही था।

सवाल : फिल्म के हरामखोर कहलाने की वजह?
जवाब : हर इंसान का एक डार्क साइड होता है। कोई इसे दिखाता है जबकि कोई छिपा ले जाता है। मैं खुद दूध का धुला नहीं हूं। हरामखोर में हमने हर शख्स की शख्सियत में छिपी डार्क साइड को उधेड़ा है। हरामखोर नाम इसलिए, क्योंकि यह एक इंसान के दिमाग में छिपी हरामखोरी की बात उठाती है।

सवाल : सेंसरशिप के मुद्दे में उलझने के चलते रिलीज में हुई देरी से आपको भी हताशा हो रही थी?
जवाब : जब फिल्म सेंसरबोर्ड में उलझ गई तो हताशा तो हुई, क्योंकि हमने फिल्म को साफ मन से बनाया था। परफॉर्मेंस के लिहाज से फिल्म बेहतरीन है और अपना असर छोड़ती है। यह वास्तविकता की जमीन पर और वास्तविकता के साथ फिल्माई गई कहानी है। फिल्म मेरे दिल के करीब है, क्योंकि सभी ने वास्तविक और ईमानदारी भरी परफॉर्मेंस दी है।

सवाल : अपने सभी कैरेक्टर में आप कॉमेडी का पुट डालने में कैसे कामयाब हो जाते हैं?
जवाब : मैं किसी भी फिल्म में जानबूझ कर अपने कैरेक्टर में कॉमेडी का पुट डालने की कोशिश नहीं करता। जैसे डायरेक्टर किसी सीन के बारे में बताते हैं, वैसे करता हूं और जो भी होता है, बड़ी स्वाभाविकता से हो जाता है। बतौर कलाकार अपने अभिनय को रोचक बनाना मेरा काम है तो कोशिश रहती है कि सारे सीन प्रमाणिक लगें और लोगों का मनोरंजन भी हो।

सवाल : इस इंडस्ट्री में अपने सफर को कैसे आंकते हैं?
जवाब : मैंने कभी नहीं सोचा था कि किसी फिल्म में रोल भी मिलेगा। मैं मुंबई में टीवी शो करने आया था, लेकिन बात बनी नहीं और हर किसी ने मुझे रिजेक्ट कर दिया। यहां खारिज कर दिए जाने के बाद मैंने फिल्मों के लिए ऑडिशन देने शुरू कर दिए और सरफरोश, मुन्नाभाई एमबीबीएस जैसी फिल्मों में एक-एक मिनट के रोल मिलने लगे। छोटे होने के बावजूद इनसे मिलने वाला संतोष मेरे लिए बहुत बड़ा था। निराशा तो तब होती है न जब आदमी ज्यादा उम्मीद पालता है। इस इंडस्ट्री में लोग स्टार बनने आते हैं, लेकिन मैं यहां स्टार बनने नहीं आया, मैं हमेशा से एक एक्टर बनना चाहता था और आज तक जो कुछ भी मिला है, उससे पूरी तरह संतुष्ट हूं।

सवाल : क्या यह डायरेक्टर की जिम्मेदारी है कि वह दर्शकों को गुमराह न करें?
जवाब : मेरा मानना है कि सपनों वाला सिनेमा ऑडियंस को भटकाता है। अक्सर लोग कहते हैं कि रियलिस्टक सिनेमा लोगों पर नेगेटिव असर डालता है, लेकिन मेरा मानना है कि ऐसा नहीं है, क्योंकि रियलिस्टिक सिनेमा में दर्शक वही देखते हैं जो समाज में पहले से ही चल रहा है। ड्रीमी सिनेमा वास्तविकता से परे होता है और दर्शकों को एक ऐसी दुनिया में ले जाता है, जिसका अनुभव उन्होंने पहले नहीं लिया। ड्रीमी सिनेमा में गाने होते हैं जहां हीरो, एक्ट्रेस से प्यार करता है, उसकी स्कर्ट खींचता है। क्या यह सब असल जिंदगी में होता है?

सवाल : रईस के ट्रेलर की तारीफ हो रही है और शाहरुख खान की मौजूदगी के बावजूद आपने अपनी छाप छोड़ी है।
जवाब : रईस में मेरी परफॉर्मेंस का क्रेडिट शाहरुख खान को जाता है, क्योंकि उनकी बदौलत मेरा कैरेक्टर आकार ले पाया है।

सवाल : हरामखोर की बॉक्स-ऑफिस पर परफॉर्मेंस को लेकर आपको कोई चिंता है, क्योंकि इसकी टक्कर ट्रिपल एक्स और ओके जानू से हो रही है?
जवाब : हरामखोर छोटी फिल्म है और बॉक्स-ऑफिस के आंकड़ों से परे है। हमने कई पार्टनर को फिल्म बेच दी है और प्रोड्यूसर उसी क्षण से प्रॉफिट में आ जाएंगे, जब फिल्म का पहला टिकट बिकेगा। फिल्म का समूचा बजट ही एक करोड़ के अंदर है और ऐसे में हमें बॉक्स-ऑफिस के रिटर्न की चिंता नहीं है।

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