अमोल का मानना है कि लोगों के पास विरोध और असहमति जताने का अधिकार होना चाहिए और इसका हर हाल में सम्मान किया जाना चाहिए…
कोलकाता। ‘हर व्यक्ति को इस बात का अधिकार है कि वह किसी बात से अपनी असहमति जता सके। पालेकर ने इस बात पर ताज्जुब जताया कि असहिष्णुता के खिलाफ पुरस्कार लौटाने वालों के खिलाफ इतनी हायतौबा क्यों मचाई गई।’ यह कहना जाने-माने निर्माता-निर्देशक और एक्टर अमोल पालेकर का। उन्होंने यह बात गुरुवार को कोलकाता साहित्य समारोह के उद्घाटन के दौरान कही। इस मौके पर उनके साथ कवि अशोक वाजपेयी भी मौजूद थे।
विरोध का सम्मान होना चाहिए
पालेकर ने कहा, ‘यदि एक कलाकार को लगता है कि वह अपना पुरस्कार लौटा कर विरोध जता सकता है तो इसमें इतना आक्रोशित होने और परेशान होने वाली कौन-सी बात है? यदि मुझे लगता है कि मैं इस तरह से या किसी और तरह से अपना विरोध जता सकता हूं, तो इसका सम्मान किया जाना चाहिए।’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने किसी की भी आवाज दबाने की हमेशा निंदा की है। यदि किसी नाटक को प्रतिबंधित किया जाता है, कोई फिल्म रोकी जाती है, तो मैंने हमेशा इसकी निंदा की है। मैं उस फिल्म को पसंद करता हूं या नहीं, यह बिलकुल अलग मुद्दा है। मैं किसी विचार से सहमत हूं या नहीं, यह बिलकुल अलग मुद्दा है। जहां तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात है, तो हर व्यक्ति को यह स्वंतत्रता मिलनी चाहिए।’
असहमति जताना राष्ट्र विरोधी नहीं…
असहिष्णुता का विरोध करने वालों को राष्ट्र विरोधी तक कहे जाने पर पालेकर ने कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि मैं आपसे सहमत नहीं हूं, मुझे यह अधिकार नहीं मिल जाता कि आपको चुप करा दूं। मुझे कोई हक नहीं है कि मैं कहूं कि आप गलत हैं या फिर ये हैं, वो हैं। असहमति जताने का मतलब राष्ट्र विरोधी होना नहीं है।’
बता दें कि अपनी अभिनय क्षमता के लिए काफी सम्मान पाने वाले पालेकर ने आगे कहा, ‘यदि मैं अपनी असहमति जताता हूं, तो क्या मैं इससे तुरंत राष्ट्र विरोधी हो जाता हूं? यदि मैंने ऐसा पूर्ववर्ती सरकार के साथ किया था, तो मुझे मौजूदा सरकार के सामने भी खुद को अभिव्यक्त करने का हक है।’
विरोध का अधिकार होना चाहिए
पालेकर ने कहा, ‘सेंसरशिप के मामले में मैं महाराष्ट्र की सभी सरकारों से लड़ चुका हूं, चाहे वह कांग्रेस की रही हो, शिवसेना की रही हो या किसी और की। इसलिए मेरा मानना है कि लोगों के पास विरोध का अधिकार होना चाहिए। असहमति जताने का अधिकार होना चाहिए और इसका हर हाल में सम्मान किया जाना चाहिए।’