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Death anniversary: शकील बदायूंनी ने संगीत को दिए प्यार के शब्द

Published: Aug 03, 2015 08:36:00 am

मशहूर शायर और गीतकार शकील बदायूनी का अपनी जिंदगी के प्रति नजरिया उनकी रचित इन
पंक्तियों मे…

Shakeel Badayuni

Shakeel Badayuni

मशहूर शायर और गीतकार शकील बदायूनी का अपनी जिंदगी के प्रति नजरिया उनकी रचित इन पंक्तियों मे समाया हुआ है। मैं शकील दिल का हूं तर्जुमा कि मोहब्बतों का हूं, राजदान मुझे फख्र है मेरी शायरी मेरी जिंदगी से जुदा नहीं। उत्तर प्रदेश के बदांयू कस्बे में आज ही के दिन 3 अगस्त 1916 को जन्में शकील अहमद उर्फ शकील बदायूंनी बी.ए पास करने के बाद वर्ष 1942 मे वह दिल्ली पहुंचे जहां उन्होंने आपूर्ति विभाग मे आपूर्ति अधिकारी के रूप मे अपनी पहली नौकरी की।

इस बीच वह मुशायरों मे भी हिस्सा लेते रहे जिससे उन्हें पूरे देश भर मे शोहरत हासिल हुई। अपनी शायरी की बेपनाह कामयाबी से उत्साहित शकील बदायूंनी ने नौकरी छोड़ दी और वर्ष 1946 मे दिल्ली से मुंबई आ गए। मुंबई मे उनकी मुलाकात उस समय के मशहूर निर्माता ए.आर. कारदार उर्फ कारदार साहब और महान संगीतकार नौशाद से हुई। नौशाद के कहने पर शकील ने हम दिल काअफसाना दुनिया को सुना देंगे, हर दिल मे मोहव्बत की आग लगा देंगे गीत लिखा। यह गीत नौशाद साहब को काफी पसंद आया जिसके बाद उन्हें तुंरत ही कारदार साहब की दर्द के लिये साईन कर लिया गया। वर्ष 1947 मे अपनी पहली ही फिल्म दर्द के गीत अफसाना लिख रही हूं की अपार सफलता से शकील बदायूंनी कामयाबी के शिखर पर जा बैठे ।

उन्होंने सबसे ज्यादा फिल्मे संगीतकार नौशाद के साथ की। उनकी जोड़ी प्रसिद्ध संगीतकार नौशाद के साथ खूब जमी और उनके लिखे गाने जबर्दस्त हिट हुए। शकील बदायूंनी और नौशाद की जोड़ी वाले गीतों में कुछ है तू मेरा चांद मैं तेरी चांदनी, सुहानी रात ढल चुकी, वो दुनिया के रखवाले, मन तड़पत हरि दर्शन को, दुनिया मे हम आए है तो जीना ही पडेगा, दो सितारो का जमीं पे है मिलन आज की रात, मधुबन मे राधिका नाची रे, जब प्यार किया तो डरना क्या, नैन लड़ जइहें तो मन वा मे कसक होइबे करी, दिल तोड़ने वाले तुझे दिल ढूंढ रहा है, तेरे हुस्न की क्या तारीफ करू, दिलरूबा मैंने तेरे प्यार मे क्या क्या न किया, कोई सागर दिल को बहलाता नही प्रमुख हैं।

शकील बदायूंनी को अपने गीतों के लिये तीन बार फिल्म फे यरअवार्ड से नवाजा गया। इनमें वर्ष 1960 मे प्रदर्शित चौदहवी का चांद के चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो, वर्ष 1961 मे घराना के गीत हुस्न वाले तेरा जवाब नही और 1962 मे बीस साल बाद में कहीं दीप जले कहीं दिल गाने के लिये फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। फिल्मीं गीतों के अलावा शकील बदायूंनी ने कई गायकों के लिए गजल लिखी है जिनमे पंकज उदास प्रमुख रहे हैं। लगभग 54 वर्ष की उम्र में 20 अप्रैल 1970 को शकील इस दुनिया को अलविदा कह गए।
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