बूंदी/ नमाना। गरड़दा मध्यम
सिंचाई परियोजना के तहत बनकर क्षतिग्रस्त हुए बांध के पुनर्निर्माण की संभावनाएं
तलाशने गुरूवार को केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की छह सदस्यीय टीम बांध पर
पहुंची। टीम में शामिल सदस्यों ने बांध की दीवार का जायजा लिया।
उन्होंने पांच
वर्ष पहले बारिश में टूटे बांध के हिस्से का बारिकी से निरीक्षण किया। बांध की
दीवार पर बबूल उग आए। मिट्टी पानी के साथ बह गई। निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान
नहीं रखा जाने से अब बांध की दीवार कई जगहों से खोखली हो गई। टीम में शामिल सदस्य
अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेंगे। रिपोर्ट से ही बांध के बनने का निर्णय होगा।
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता सुमनेश माथुर ने बताया कि सीडब्ल्यूसी टीम को कुछ
संशय थे, जिन्हें बैठक में दूर किया गया है। उम्मीद हैकि टीम बांध के पुनर्निर्माण
को लेकर सकारात्मक रिपोर्ट देंगी। टीम में सीडब्ल्यूसी की अनुसंधान अधिकारी
आर.चित्रा, सहायक मुख्य अभियंता (गुणवत्ता नियंत्रण) विनोद शाह व चार सदस्य शामिल
थे।
मुख्य अभियंता माथुर भी टीम के साथ थे। उल्लेखनीय है कि बूंदी तहसील के
होलासपुरा गांव में मेज नदी की सहायक नदी मांगली, डूंगरी व गणेशीनाला पर बना बांध
15 अगस्त 2010 को टूट गया था। बांध का करीब 100 फीट ऊंचा एवं 350 फीट चौड़ा हिस्सा
पानी में बह गया। तब बांध आधे से अधिक भरा हुआ था। परियोजना पर अब तक डेढ़ अरब रूपए
खर्च हो चुके हैं।