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“कुछ तो रहम करो”

locationबूंदीPublished: Apr 17, 2015 10:13:00 pm

दोपहर के 12 बजे थे और सूरज तमतमा रहा था।
चिलचिलाती धूप में अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे दर्जनों बुजुर्ग। यह नजारा था
बूंदी जिला मुख्यालय स्थित मुख्य डाकघर

बूंदी। दोपहर के 12 बजे थे और सूरज तमतमा रहा था। चिलचिलाती धूप में अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे दर्जनों बुजुर्ग। यह नजारा था बूंदी जिला मुख्यालय स्थित मुख्य डाकघर का।

जहां हर रोज की तरह गुरूवार को भी कई बुजुर्ग पेंशन लेने आए। बुजुर्गो के आने का सिलसिला तो सुबह आठ बजे ही शुरू हो गया था, लेकिन पेंशन के लिए कई जनों की बारी दोपहर बारह बजे तक नहीं आई। वे दोपहर के वक्त अपनी बारी के लिए चिलचिलाती धूप में बैठे थे। उनकी इस पीड़ा को यहां देखने और सुनने वाला कोई नहीं। राज्य सरकार की पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए परेशान हो रहे बुजुर्गो की पीड़ा की ओर प्रशासनिक अधिकारियों का भी ध्यान नहीं जा रहा। जबकि झुर्रियों के बीच से झांकते बुजुर्ग यही कहते दिखाई पड़ रहे थे कि “हे ईश्वर कुछ तो रहम कर”।

देखने और सुनने कोई नहीं आता
देवपुरा से वॉकर के सहारे आई पाना बाई बोली इस उम्र में अब कोई साथ नहीं देता। यहां तक की “ऊपरवाले” ने भी झांकना छोड़ दिया। वो हर माह देवपुरा से इसी तरह आती है, लेकिन पेंशन के लिए इस उम्र व हाल में भी संघर्ष करना पड़ रहा है। कतार में खड़ा होना उनके लिए मुश्किल है, लेकिन डाकघर में इस पीड़ा को देखने और सुनने वाला कोई नहीं।

“बजट का अभाव होने से छाया की व्यवस्था नहीं कर पा रहे। बीते वर्ष गर्मी के दौरान टेंट लगाए थे, लेकिन खर्चा अधिक हो गया। आगामी बजट में इसे शामिल करेंगे।”बी.एल. कुम्हार, अधीक्षक, डाकघर, टोंक

यूं सुनाई आप बीती

“पेंशन के लिए 3 घंटे हो गए तेज धूप में खड़े। अभी तक बारी नहीं आई। हर बार इसी तरह धूप में खड़ा रहना पड़ता है। कई बार धक्का-मुक्की भी होती है।”प्यारा सिंह (75), मांगलीनदी

“इस परेशानी के लिए कोई नहीं सुनता। अब गर्मी तेज हो गई। कुछ देर तो खड़े रहते हैं, लेकिन चक्कर आने लगे हैं। अब कतार मे खड़ा रह पाना मुश्किल हो गया।”बदरूनिसा (70), तलाई मोहल्ला, बूंदी

“पैर में मोच होने से खड़ा नहीं रहा जाता। पेंशन भी हर माह नहीं मिल रही। सुबह 8 बजे के पहले से कतार में बैठे हैं। अब दोपहरी हो गई। यहां कोई सुनवाई को तैयार नहीं होता।”मोहम्मद हबीब (72)

“अब चला नहीं जाता। कतार मे आगे बढ़ते हैं तो गार्ड फिर पीछे कर देते हैं। डाकघर के पूरे परिसर में छाया की कोई व्यवस्था नहीं दिख रही। पेंशन भी हर माह नहीं मिलती। अभी चार माह हो गए।”हरवंश सिंह (72), गादेगाल
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