अतिथि स्कूल कब आओगे…!
बुरहानपुरPublished: Jul 22, 2017 12:33:00 pm
बीते साल तक पढ़ाया इस बार कर रहे मजदूरी
मनीष विद्यार्थी/किशोर चौहान, डोइफोडिया. चाणक्य ने कहा था कि शिक्षक की गोद में निर्माण और प्रलय दोनों पलते है। समाज में मां के बाद केवल शिक्षक को ऊंचा ओहदा दिया गया है। शिक्षक ही भविष्य का निर्माता होता है लेकिन जिले में इन दिनों शिक्षकों का भविष्य ही अंधकारमय नजर आ रहा है, इसलिए वे अपने जीवनयापन के लिए परेशानी झेल रहे है।
खकनार ब्लॉक के 9 संकुलों में कुल 213 आतिथि शिक्षकों के पद खाली है। स्कूलों में बच्चों का प्रवेशोत्सव तो 16 जून से कर दिया गया लेकिन लेकिन अभी तक स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की भर्ती नहीं की गई और बच्चों के उज्जवल भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार खकनार तहसील में 500 से ज्यादा डीएड और बीएड शिक्षित शिक्षक कुछ घर बैठे है तो बाकी खेतों में जाकर मजदूरी कर रहे हैं।
9 संकुल में 213 अतिथियों की दरकार
आंकड़ों की माने तो खकनार ब्लॉक के डोइफोडिय़ा में 37, सिरपुर में 28 , खकनार में 32, तुकईथड़ में 19, देड़तलाई 21, अंबाडा 19, नेपानगर 20, नावरा 20 और बादखेड़ा में 18 अतिथियों की दरकार है। अकेले डोइफोडिय़ा संकुल में कुल 37 पद अतिथियों के रिक्त पड़ है, जिनमें से 15 से ज्यादा अतिथि शिक्षक अब खेती और मजदूरी करने लगे है।
मातापुर के संतोष चौहान 2012 से लगातार 5 सालों तक अतिथि शिक्षक के रूप में पढ़ाते रहे लेकिन इस बार अब तक भर्ती नहीं हो पाने के कारण दाल-रोटी के संकट ने घेर लिया। समाज में एक शिक्षक की जि?मेदारी निभाना तो चाहते है लेकिन परिवार की जि?मेदारी ने खेती-किसानी की तरफ मोड़ दिया।
लोखंडिय़ा के अजमल राठौड़़ बीते 4 सालों से अतिथि शिक्षक का दायित्व निभा रहे है लेकिन अब भर्तीनहीं हो पाने के कारण पंचायत में सहायक कर्मचारी और बचे हुए समय में किसानी करके परिवार का भरण पोषण। उनके जिम्मे माता-पिता सहित 4 बच्चों का दायित्व है।
कालापाट के राजकुमार चौहान 7 सालों से अतिथि शिक्षक के रूप में शिक्षा का अलख जगाकर सुनहरे भविष्य का निर्माण कर रहे है लेकिन स्कूल शुरू हुए करीब डेढ़ माह तक बीत चुका हैऔर अब तक भर्ती नहीं हो पाने से पारिवारिक परेशानियां बढऩे लगी। इसलिए खेतों में जाकर परिवार के लिए दो जून की जुगत में लगे है।
मांजरोद खुर्द के 5 भाईयों के परिवार में इकलौते पढ़े-लिखे राजकुमार सावलकर ने बताया कि उनके 4 भाई मजदूरी करते है। वे अतिथि शिक्षक के लिए इंतजार कर रहे है। कोईआसार नहीं दिखने के कारण अब तक तो खेतों में काम किया लेकिन अब मुंबई जाकर किसी फेक्ट्री में कार करना होगा।
वर्जन-
20 जुलाई से ऑनलाइन आवेदन होने के निर्देश हमें मिले थे। इसके बाद यदि तिथि में बढ़ोतरी की गईहो तो हमें कोईजानकारी नहीं है। अतिथियों की भर्ती प्रक्रिया में शासन स्तर से बदलाव किए गए है। इसमें स्थानीय स्तर से कोई ढील नहीं की जा रही है।
-प्रेम नारायण पाराशर, जिला शिक्षा अधिकारी।