नई दिल्ली। नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर बुरे असर का आकलन का काम अभी भी जारी है। मार्केट एक्सपर्ट और अर्थशास्त्री अपने-अपने तरीके से सेक्टर के आधार पर नुकसान का आकलन कर रहे हैं। इन सभी में कृषि ऐसा सेक्टर है जिसके बारे में कई राजनीति पार्टियां भी आवाज उठा रही हैं और सरकार से मांग कर रही है कि किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की जाए, क्योंकि अभी भी देश की आधी से अधिक आबादी का जीवन यही क्षेत्र वहन करता है। उम्मीद भी की जा रही है कि वित्तमंत्री इस बार के बजट में इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देंगे और कई रियायतेें और घोषणाएं करेंगे। ऐसे में सुनिए वित्तमंत्री की इस कड़ी में हम आज कृषि सेक्टर और जुड़े इंडस्ट्री की बात कर रहे हैं।
कृषि उपकरणों पर उत्पाद शुल्क में मिले छूट
क्रिस्टल क्रॉप के प्रबंध निदेशक अंकुर अग्रवाल के अनुसार इस बार बजट में वित्तमंत्री को कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कृषि रसायनों, ट्रैक्टरों एवं अन्य कृषि औजारों पर उत्पाद शुल्क में कमी करनी चाहिए। ऐसा इसलिए की अभी बाजार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के जो उत्पाद हैं, वे काफी महंगे हैं और किसानों के पास इन उत्पादों को खरीदने का सामथ्र्य नहीं है। इसके साथ ही इस बात की सतत आवश्यकता है कि भारत की कृषि रसायन कंपनियों को फंड की जरूरत पूरा करने में मदद और उत्पादों का तत्काल पेटेंट कराने की सुविधा मिलनी चाहिए। यदि ऐसा किया जाएगा तो यह भारत के किसानों के हित में होगा। बजट में कृषि क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की जरूरत है। इस बजट में कृषि संबंधी अनुसंधान और विकास कार्यों में कार्यरत संस्थाओं के लिए कुछ प्रोत्साहन की मांग हम वित्तमंत्री से करते हैं।
खाद्दान्नों की खरीदारी में प्राइवेट प्लेयर को मिले प्रवेश
सीएलएएएस एग्रीकल्चरल मशीनरी के हेड (मार्केट डेवलपमेंट) दिनेश नैन का कहना है कि वित्तमंत्री को चाहिए कि कृषि सेक्टर को गति देने के लिए एपीएमसी एक्ट में बदलाव की जरूरत है, क्योंकि यह हर राज्य में अलग-अलग है। इसके चलते प्राइवेट सेक्टर को खद्दान्नों की खरीद में सीमित अवसर मिलता है। यह समय की मांग है कि किसानों को उनकी फसल का सही कीमत मिले, इसके लिए खाद्दान्नों की खरीद में प्राइवेट सेक्टर को भी अवसर मिलना चाहिए। इसके साथ ही देश में बारिश का पानी सभी जगह समान नहीं होता है।
सरकार ने इस समस्या का हल करने के लिए नदियों के जोडऩे का काम शुरू किया है, लेकिन काम बहुत धीमा है। सरकार को चाहिए कि इस पर फंड बढ़ाकर इस काम को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। नोटबंदी के बाद से किसान कैश की कमी से जूझ रहे हैं। सरकार को चाहिए कि किसानों को डिजिटल पेमेंट के बारे में विशेष रूप से जानकारी मुहैया कराए जाएं। खेतों में पसलों के पुआल जलाने से प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ी है। बजट में बायोफ्यूल और बायोमास को बढ़ाने के लिए विशेष प्रावधान करना चाहिए। इसके साथ ही किसानों को उन्नत बीज और खाद्य मिले, इसके लिए कृषि विश्वविद्यालयों में रिसर्च पर विशेष सुविधा मुहैया करना चाहिए।
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