2009 में पहली बार भारत आया वानामेई कुल झींगा निर्यात का 80 फीसदी, जबकि देश के कुल समुद्री उत्पाद निर्यात का करीब 46 फीसदी हिस्सा है…
नई दिल्ली. मूलरूप से अमरीका में पाया जाने वाला सफेद पैर वाला झींगा ‘लिटोपेनियस वानामेई’ अब भारत में ब्लू रिवॉल्यूशन की स्क्रिप्ट लिख रहा है। इसे ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम की सबसे बड़ी सफलता माना जा रहा है। 2009 में पहली बार भारत आया वानामेई कुल झींगा निर्यात का 80 फीसदी, जबकि देश के कुल समुद्री उत्पाद निर्यात का करीब 46 फीसदी हिस्सा है।
14 हजार करोड़ पार हुआ निर्यात
वानामेई ने भारत की समुद्री निर्यात ग्रोथ तेज करने में काफी मदद की है। 2015-16 में कुल 2.57 लाख टन वानामेई निर्यात हुआ था, जिसकी कुल वैल्यू 14,270 करोड़ रुपए को पार कर गया है। इस मामले में पिछले चार सालों में छह गुना ग्रोथ देखने को मिली है। 2011-12 में भारत के कुल निर्यात में समुद्री उत्पादों का हिस्सा महज नौ फीसदी था, जो बढ़कर 2015-16 में 15 फीसदी तक पहुंच गया।
ऐसे वानामेई बना एक्सपोर्ट बूस्टर
साल मात्रा (टन) वैल्यू (करोड़ रुपए)
2011-12 40,787 2,575
2012-13 91,171 4,877
2013-14 1,75,073 13,305
2014-15 2,22,176 15,831
2015-16 2,56,699 14,270
ग्लोबल लीडर बन सकता है भारत
इस सफलता से उत्साहित सरकार समुद्री उत्पादों का निर्यात 2020 तक 670 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद जता रही है, पिछले वित्त वर्ष में यह महज 310 अरब डॉलर था। इस इंडस्ट्री के लिए अमरीका, यूरोपियन यूनियन और जापान सबसे बड़े बाजार हैं। विशाल समुद्री तट और अनुकूल तापमान के चलते भारत का एक्वा प्रोडक्शन तेजी से बढ़ रहा है। धीरे-धीरे भारत समुद्री खाद्य उत्पादों के मामले प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन में ग्लोबल लीडर बन सकता है।