मोदी सरकार की नोटबंदी से आने वाले समय में देश की इकोनॉमी में कई बदलाव होने तय हैं। इन बदलावों में सबसे अहम है लोगों के घरों का बजट बढऩा। इस अहम फैसले से ब्लैकमनी पर लगाम लगेगी और देश कैशलेस इकोनॉमी की ओर बढ़ेगा।
नई दिल्ली. मोदी सरकार की नोटबंदी से आने वाले समय में देश की इकोनॉमी में कई बदलाव होने तय हैं। इन बदलावों में सबसे अहम है लोगों के घरों का बजट बढऩा। इस अहम फैसले से ब्लैकमनी पर लगाम लगेगी और देश कैशलेस इकोनॉमी की ओर बढ़ेगा। यानी, कैश में लेन-देन नहीं होकर डेबिट-क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, ऑनलाइन पेमेंट आदि का इस्तेमाल ज्यादा होगा। सरकार की ओर से कैशलेस इकोनॉमी के भले कई फायदे गिनाएं जा रहे हैं, लेकिन खराब असर हर भारतीय परिवार पर पडऩा तय है। इससे घर का बजट बढऩा तय है।
कैसे बढ़ेगा घर का बजट
आरबीआई ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वह किसी दूसरे बैंक के कस्टमर से एटीएम निकासी पर कोई चार्ज नहीं वसूले। यह व्यवस्था कब तक चलेगी, यह पता नहीं है। हो सकता है कि अगले कुछ महीनों में बैंक फिर से चार्ज वसूल करने लगें। अगर अभी के हालात को भी देखें तो आपसे सिर्फ एटीएम ट्रांजैक्शन चार्ज नहीं लिया जा रहा है। बाकी सभी तरह के सरचार्ज ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के दौरान वसूल किए जा रहे हैं, जैसे ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर 20 से 40 रुपए, पेट्रोल लेने पर 0.75 से 1 फीसदी सरचार्ज, ई-कॉमर्स से खरीदारी पर सरचार्ज आदि। यानी, कैशलेस इकोनॉमी होने पर आपको सभी वस्तुओं को खरीदने के लिए अलग से चार्ज का भुगतान करना होगा, जो आपके घर के बजट को बढ़ाएगा।
यह भी है खतरा
मोबाइल पेमेंट या डिजिटल ट्रांजैक्शन पर अब तक कोई बड़ा एकेडमिक रिसर्च नहीं किया गया है। इसके साथ यह देखा गया है कि क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने पर लोगों को बजट का ख्याल नहीं रहता है। वे अपने बजट से बाहर जाकर खरीदारी कर लेते हैं। ऐेसे में कर्ज के बोझ का धीरे-धीरे बढऩे का खतरा होगा। इस तरह लोगों की बचत प्रभावित होगी और उनके घर का बजट बिगड़ सकता है। कैशलेश ट्रांजैक्शन में स्मार्टफोन और मोबाइल डाटा का एक अलग खर्च भी लोगों को उठाना होगा। इससे भी आम लोगों पर खर्चे का बोझ बढ़ेगा।
जीडीपी में 12 फीसदी कैश की हिस्सेदारी
जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट की मुताबिक देश में होने वाले कैश ट्रांजैक्शन में वॉल्यूम के हिसाब से कैश 95 फीसदी और वैल्यू के हिसाब से कैश लगभग 65 फीसदी है। रिपोर्ट के मुताबिक 500 और एक हजार के पुराने नोट कुल करेंसी का करीब 86.4 फीसदी है। आरबीआई द्वारा पुराने नोट बदलने की समय सीमा 31 मार्च 2017 है। अर्थशात्रियों के अनुसार नोटबंदी के पास लोगों के लिए डिजिटल ट्रांजैक्शन स्वीकार करना मजबूरी होती जा रही है। सरकार भी इस पर फोकस कर रही है। ऐसे में इसकी रफ्तार बढ़ती रहेगी।