टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री और रतन टाटा के बीच की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। मिस्त्री ने समूह के अंतरिम चेयरमैन टाटा के साथ किसी भी तरह के समझौते से इनकार किया है। मिस्त्री ने कहा कि वह समूह में गवर्नेंस के मुद्दे पर अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 103 अरब डॉलर के इस ग्रुप से वह अपने परिवार की 18.5 फीसदी हिस्सेदारी वापस नहीं लेंगे।
टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री और रतन टाटा के बीच की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। मिस्त्री ने समूह के अंतरिम चेयरमैन टाटा के साथ किसी भी तरह के समझौते से इनकार किया है। मिस्त्री ने कहा कि वह समूह में गवर्नेंस के मुद्दे पर अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 103 अरब डॉलर के इस ग्रुप से वह अपने परिवार की 18.5 फीसदी हिस्सेदारी वापस नहीं लेंगे। इसके साथ ही उनके परिवार के नियंत्रण वाली निवेश कंपनी ने टाटा संस के खिलाफ नेशनल कंपनीज लॉ ट्राइब्यूनल का दरवाजा भी खटखटाया दिया है।
मिस्त्री की कंपनी ओर से कंपनी कानून की धारा 241 के तहत टाटा संस के खिलाफ उत्पीडऩ और कुप्रबंधन का मामला दायर किया गया है। न्यायाधिकरण इस अपील पर 22 दिसंबर को सुनवाई करेगा। मिस्त्री के इस फैसले के बाद टाटा संस ने भी नहीं झुकने का साफ संकेत देते हुए कहा कि वह नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में मिस्त्री के आरोपों पर जवाब देगी। टाटा संस ने कहा कि सायरस मिस्त्री की याचिका से रतन टाटा के प्रति उनकी गहरी कटुता का पता चलता है।
मिस्त्री का कदम दुर्भाग्यपूर्ण: टाटा संस
मिस्त्री के ट्राइब्यूनल पहुंचने पर टाटा संस ने कहा कि हमें कंपनीज ऐक्ट की धारा 241 और 242 के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल का नोटिस मिला है। इसे याचिका को साइरस मिस्त्री की इन्वेस्टमेंट कंपनियों की ओर से दायर किया गया है। समूह ने कहा, ‘हमने कॉर्पोरेट गवर्नेंस के उच्च मानकों का पालन किया है। मिस्त्री की ओर से यह याचिका दुर्भाग्यपूर्ण है। यह टाटा समूह और जमशेदजी टाटा के मूल्यों के प्रति उनकी गैरजवाबदेही को दर्शाता है।’
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