मुंबई: रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 25 आधार अंक यानी 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है। यह कटौती, नवंबर, 2010 के बाद सबसे कम है। अब रेपो रेट 6.25 फीसदी से घटकर 6.0 हो गई है। वहीं रिवर्स रेपो रेट में भी 0.25 फीसदी की कटौती की गई है। अब यह 5.75 फीसदी पर आ गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि इससे आपके फ्लैट की ईएमआई, कार लोन, बिजनेस लोन और पर्सनल लोन सस्ते हो सकते हैं।
अक्टूबर, 2016 के बाद की गई है यह कटौती
रिजर्व बैंक गवर्नर ऊर्जित पटेल की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को यह ऐलान किया। दरअसल, मुद्रास्फीति के रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहने की वजह से ज्यादातर विशेषज्ञों ने इस बार रेपो रेट में कटौती को लेकर उम्मीद जताई थी। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना था कि रिजर्व बैंक उम्मीद से भी ज्यादा कटौती कर सकता है क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति जून में 1.54 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई। जून महीने में हुई पिछली बैठक में आरबीआई गवर्नर ने समय से पहले कार्रवाई से बचने और मुद्रास्फीति के और आंकड़े आने तक इंतजार करने पर जोर दिया था,उस वक्त मुख्य रेपो रेट को 6.25 प्रतिशत पर स्थिर रखा था। अक्टूबर, 2016 के बाद यह कटौती की गई है।
बाकी बैंकों से भी राहत की उम्मीद
रिजर्व बैंक के इस कदम से कर्ज लेने वाले लोगों को राहत मिलेगी, क्योंकि माना जा रहा है कि बैंक भी ब्याज दरों में कमी करेंगे। रेपो रेट में की गई कमी से बैंकों को आरबीआई से लिए गए कर्ज पर कम ब्याज चुकाना होगा, और इससे उनकी संचालन लागत कम होगी, जिसका लाभ ग्राहकों और कर्जदारों को मिलेगा।
4 सदस्य थे कटौती के पक्ष में
मौद्रिक नीति समिति के 6 में से 4 सदस्य रेट में कटौती के पक्ष में थे। समिति के सदस्य प्रो. रविंद्र ढोलकिया ने तो आधे प्रतिशत की कटौती की सिफारिश की थी। हालांकि, इस पर रजामंदी नहीं बन पाई। अगली बैठक में चौथाई फीसदी की हो सकती है कटौती माना जा रहा है कि दो महीने बाद होनेवाली अगली मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में भी चौथाई प्रतिशत की कटौती का फैसला लिया जाएगा। अगली बैठक 3 से 4 अक्टूबर तक होगी।
जीएसटी के चलते लिया ऐसा फैसला
उर्जित पटेल ने माना कि जीएसटी को पूरे देश में बड़ी सहजता से लागू कर लिया गया। उन्होंने कहा कि अच्छे मॉनसून और जीएसटी के सहजता से लागू हो जाने की वजह से समिति को नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का फैसला लेने में आसानी हुई।
आखिरी तिमाही तक खुदरा महंगाई 4 प्रतिशत रहने का अनुमान।
क्या है रेपो रेट
दरअसल, रोजमर्रा के कामकाज के लिए बैंकों को भी बड़ी-बड़ी रकमों की जरूरत पड़ जाती है, और ऐसी स्थिति में उनके लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सबसे आसान विकल्प होता है। इस तरह के कर्ज पर रिजर्व बैंक उन बैंकों से जिस दर से ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। ऐसे में जब बैंकों को कम दर पर कर्ज उपलब्ध होगा तो वे ज्यादा ग्राहक आकर्षित करने के लिए अपनी ब्याज दरों में कमी कर सकते हैं।
क्या है रिवर्स रेपो रेट
जब कभी बैंकों के पास दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकमें बची रह जाती हैं, वे उस रकम को रिजर्व बैंक में रख दिया करते हैं, जिस पर आरबीआई उन्हें ब्याज दिया करता है। अब रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज अदा करता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
पिछले बैठकों में नहीं बदला था रेपो रेट
दिसंबर 2016: रेपो रेट (6.25%), रिवर्स रेपो रेट (5.75%) में कोई बदलाव नहीं
फ़रवरी 2017: रेपो रेट (6.25%), रिवर्स रेपो रेट (5.75%) में कोई बदलाव नहीं
अप्रैल 2017: रेपो रेट (6.25%) में बदलाव नहीं, रिवर्स रेपो रेट 5.75% से 6%
जून 2017: रेपो रेट (6.25%), रिवर्स रेपो रेट (6%) में बदलाव नहीं
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