चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में आयात घटकर 480 अरब रुपए तक पहुंच गया है। इसके चलते अब सरकार सोने को लेकर अपनी नीतियों की फिर से समीक्षा कर रही है…
नई दिल्ली. ऊंचे आयात शुल्क, ज्वैलरी खरीदी के सख्त नियमों, ज्वैलर्स की हड़ताल और ब्लैक मनी पर सरकार के कड़े रुख के चलते सोने का आयात भारी गिरावट के साथ एक दशक के निचले स्तर पर चला गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में आयात घटकर 480 अरब रुपए तक पहुंच गया है। इसके चलते अब सरकार सोने को लेकर अपनी नीतियों की फिर से समीक्षा कर रही है। आर्थिक मामलों के विभाग से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक इन नीतियों की समीक्षा के लिए एक समिति बनाई गई है।
घाटा बढ़ने पर बढ़ाया था आयात शुल्क
2013 में जब चालू खाता घाटा चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया था, तब सोने पर आयात शुल्क 10 फीसदी कर दिया गया था। चालू वित्त वर्ष अप्रैल से जून के दौरान चालू खाता घाटा कुल जीडीपी का 0.1 फीसदी यानी 1,84,746 करोड़ रुपए था। इक्रा के अनुमान के मुताबिक 2016-17 में चालू खाता घाटा करीब 1,330 से 1,670 अरब रुपए के बीच रह सकता है, जो 2015-16 में 1460 करोड़ रुपए के आसपास था।
आयात शुल्क बढ़ा तो बढ़ गई तस्करी
अधिकारियों के मुताबिक, आयात शुल्क बढ़ाए जाने के बाद सोने की तस्करी के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं बढ़ी हुई कीमतों के चलते कंज्यूमर डिमांड में भी कमी देखने को मिली। जीएसटी लागू हुआ तो उपभोक्ताओं को ज्वैलरी खरीदी पर 14-16 फीसदी तक टैक्स देना पड़ सकता है। ऐसे में सोने की तस्करी और बढ़ जाएगी।