सरकार हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री में सुधार के लिए ‘विलेज टू मार्केट’ मॉडल, मेट्रो शहरों में ‘ग्रामीण हाट’ और स्टार्टअप्स पर फोकस कर रही है…
नई दिल्ली. ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री बेहद अहम है। करोड़ों लोगों को रोजगार देने वाली इस इंडस्ट्री को मजबूत करने के लिए सरकार नए सिरे से प्रयास कर रही है। सरकार ‘विलेज टू मार्केट’ मॉडल, मेट्रो शहरों में ‘ग्रामीण हाट’ और स्टार्टअप्स पर फोकस कर रही है, ताकि मूल निर्माता की आय में सुधार किया जा सके। मॉनसून में लगातार अस्थिरता के चलते अब ग्रामीण लोगों के लिए कृषि के इतर दूसरे आय स्रोतों की जरूरत बढ़ती जा रही है। ऐसे में हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों के लिहाज से अच्छा विकल्प साबित हुई है।
करोड़ों का सहारा
हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट से जुड़े लोगों के लिए देश में 27 लाख सेल्फ हेल्प ग्रुप्स हैं, जिनमें करीब 3 करोड़ महिलाएं सदस्य हैं। इन समूहों पर करीब 15 करोड़ लोगों की आजीविका निर्भर है। 35 हजार करोड़ रुपए की इस इंडस्ट्री के उत्पादन का करीब 60 फीसदी निर्यात होता है।
असली हकदारों को पूरा दाम नहीं
इंडस्ट्री के आकार में लगातार विस्तार के बावजूद बेहद सुंदर और उपयोगी सामान बनाने वालों की स्थिति कमजोर ही बनी हुई है। बिचौलियों की हड़प नीति के चलते रचनात्मक उत्पाद बनाने वाले कलाकारों को मेहनत का वह दाम नहीं मिल पाता है, जिसके वे हकदार हैं। इससे निपटना बड़ी चुनौती है।
लगातार बढ़ रहा निर्यात
साल निर्यात (करोड़ डॉलर)
2011-12 217.6
2012-13 228.9
2012-14 285.4
2014-15 304.8
2015-16 323.3