जीएसटी से बचने के लिए कई दुकानदार एक जोड़ी जूते को अलग-अलग कर बेच रहे हैं और इसके लिए दो अलग-अलग बिल भी बना रहे हैं। इसी तरह से एक वस्त्र विक्रेता टुपट्टे को सलवार सूट से अलग बेच रहा है।
नई दिल्ली: एक देश एक राष्ट्र कर यानी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू तो केंद्र सरकार ने लागू कर दिया। लेकिन कारोबारी या दुकानदार इससे बचने के लिए इसकी अजीबो-गरीब तोड़ भी निकाल रहे हैं। जीएसटी से बचने के लिए कई दुकानदार एक जोड़ी जूते को अलग-अलग कर बेच रहे हैं और इसके लिए दो अलग-अलग बिल भी बना रहे हैं। इसी तरह से एक वस्त्र विक्रेता टुपट्टे को सलवार सूट से अलग बेच रहा है।
व्यापारी अपना रहे ये नुस्खे
बरसों तक बासमती चावल बेचने वाली कंपनी ने विज्ञापन देकर अपना ब्रांड बनाया और अब उसने अपना ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन वापस लेने की तैयारी कर ली है। इस कंपनी ने व्यापारियों को बिना ट्रेडमाक्र्स वाले ब्रांड पर टैक्स छूट लेने का दावा भी करने को कहा है। जीएटी के दायरे से बाहर करने या फिर कम टैक्स के दायरे में लाने के लिए कारोबारी ऐसे तरीके अपना रहे हैं।
कुछ खाद्य पदार्थ पर जीएसटी लागू नहीं
ज्यादातर व्यापारी जीएसटी काउंसिल के ग्राहकों, खास तौर पर आम लोगों को बचाने के प्रयासों का लाभ ले रहे हैं। 500 रुपए से कम के फुटवेयर पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया गया है जबकि उससे अधिक कीमत के फुटवेयर पर 18 फीसदी टैक्स लगाया गया है। वहीं, 1,000 रुपए से कम कीमत के अपैरल्स पर 5 फीसदी जीएसटी तय किया गया और उससे अधिक की कीमत पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। इसी तरह कुछ खाद्य पदार्थों पर जीएसटी नहीं वसूला जाएगा। इनमें पनीर, प्राकृतिक शहद, आटा, चावल और दालें आदि शामिल हैं। ऐसे उत्पाद जो कंटेनर में आते हैं या जो रजिस्टर्ड ब्रांड है, उनपर 5 फीसदी जीएसटी लगाया गया है।
टैक्स कम करने में प्रावधानों का बेजा इस्तेमाल
कम टैक्स दर का फायदा लेने के लिए कई वस्तुओं की संरचना में ही बदलाव किया जा रहा है। हालांकि, इसके लिए प्रावधानों का गलत इस्तेमाल हो रहा है। अलग-अलग टैक्स की दरों से हो रहा दुरुपयोग जीएसटी के तहत टैक्स दर अलग-अलग होने के कारण इसका दुरुपयोग हो रहा है। सरकार ने जीएसटी में 0,5,12, 18 और 28 फीसदी की दर से टैक्स के पांच नए टैक्स स्लैब निर्धारित किए हैं। केंद्र सरकार के ऐसे कर्मचारी जिन्होंने एक्साइज ड्यूटी में क्लासिफिकेशन डिस्प्यूट देखे थे, वो वैल्यू के आधार पर अलग-अलग टैक्स रेट के समर्थन में नहीं थे।
प्रावधानों पर हो सकता है पुनर्विचार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अगर इस तरह के मामले ज्यादा बढ़े तो जीएसटी काउंसिल प्रावधानों पर पुनर्विचार कर सकती है। अगर जीएसटी रेट रजिस्टर्ड ब्रैंड के नाम के आधार पर निर्धारित किया जाना है तो कई ऐसे भी उत्पाद हैं जो रजिस्टर्ड नहीं हैं, लेकिन काफी लोकप्रिय हैं। जीएसटी रेट तय करने का आधार वस्तुगत होना चाहिए न कि भेदभावपूर्ण।
‘जीएसटी रेट फाइंडर’ मोबाइल एप
जीसटी की विभिन्न दरों को लेकर ऊहापोह दूर करने के लिए सरकार ने मोबाइल एप लांच किया है। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) की ओर से लांच ‘जीएसटी रेट फाइंडर’ नाम के एप में वस्तुओं एवं सेवाओं पर दरों की पूरी लिस्ट दी गई है। एप में विभिन्न दरों के मुताबिक वस्तुओं को 7 कैटिगरी में बांटा गया है- 0 प्रतिशत, 0.25 प्रतिशत, 3 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। इसी तरह, सेवाओं को पांच श्रेणी में बांटा गया है- 0 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। इसके साथ ही, अगर किसी खास वस्तु एवं सेवा पर लागू जीएसटी दर की जानकारी पाने के लिए सर्च ऑप्शन भी दिया गया है। यहां वस्तुओं एवं सेवाओं के नाम सर्च कर उस पर लागू जीएसटी दर का पता किया जा सकता है।
विदेशी नोट महंगे!
जीएसटी लागू होने के बाद विदेश जाना अब और भी महंगा साबित हो सकता है। क्योंकि विदेश जाने से पहले आप जो विदेशी नोट खरीदते हैं, उसके लिए अब आपको ज्यादा पैसे देने होंगे। दरअसल, अगर सरकार ने कस्टम विभाग के पक्ष में फैसला दिया तो विदेशी मुद्रा के आयात पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। बैंकों ने सरकार से इस पर छूट की मांग की है। बैकों का कहना है कि सरकार के अनिर्णय की स्थिति में बंदरगाहों पर विदेशी मुद्रा के बहुतेरी खेप फंसी हुई है। कस्टम एक्ट के तहत बैंक और रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा मंगाते हैं।