‘फिस्कल फेडरलिज्म के खिलाफ है जीएसटी, सीबीईसी और आईआरएस की मनमानी
एआईसीसीटीए ने कहा है कि 2017 के एक अप्रैल से जीएसटी का क्रियान्वयन होना चाहिए, लेकिन इस क्रम में इंडियन कॉपरेटिव और फिस्कल फेडरेलिज्म का ख्याल रखा जाना चाहिए…
नई दिल्ली. ऑल इंडिया कन्फेडरेशन ऑफ कमर्शियल टैक्सेज एसोसिएशंस के एनसीआर चैप्टर ने जीएसटी बिल के वर्तमान स्वरूप पर गहरी आपत्ति जताई है। एआईसीसीटीए ने कहा है कि 2017 के एक अप्रैल से जीएसटी का क्रियान्वयन होना चाहिए, लेकिन इस क्रम में इंडियन कॉपरेटिव और फिस्कल फेडरलिज्म का ख्याल रखा जाना चाहिए।
सीबीईसी और आईआरएस अफसरों की सलाह पर होता है काम
एआईसीसीटीए के अनुसार अभी हुई जीएसटी काउंसिल की बैठकों से साफ हो गया है कि काउंसिल सिर्फ सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज और कस्टम तथा आईआरएस अफसरों की सलाह पर काम कर रही है, जो जीएसटी पर 6 साल चली लंबी बातचीत के बाद इस पर बनी सशक्त कमेटी की बैठकों में जिस तरह के निर्णय हुए, उनके भी खिलाफ है। एसोसिएशन ने कहा है कि वह चाहती है कि जीएसटी का क्रियान्वयन इन बैठकों में हुई सहमति और फिस्कल फेडरेलिज्म के आधार पर हो।
मूल अवधारणा के खिलाफ कदमः राकेश यादव
एसोसिएशन के एनसीआर चैप्टर के सदस्य और सेल्स टैक्स ज्वाइंट कमिश्नर राकेश कुमार यादव ने कहा कि सीबीईसी के निर्देश पर जीएसटी को गुड्स टैक्स, सर्विस टैक्स, इंट्रा टैक्स और इंटर स्टेट टैक्स में बांटने की कोशिश की जा रही है। यह कोशिश जीएसटी की मूल समझ और अवधारणा के खिलाफ है। यादव ने कहा कि यादव ने कहा कि आईआरएस अधिकारी की यह कोशिश संघीय भावना के खिलाफ है।
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