अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत में छह प्रमुख क्षेत्रों में सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए आगाह किया है कि देश में कंपनियों और बैंकों की बैलेंश-शीट की कमजोरी, आर्थिक सुधारों की धीमी पड़ती गति और मंद निर्यात से पैदा चुनौतियां उसकी आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकती हैं।
आईएमएफ ने हाल ही में जारी अनुमान में कहा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि चालू वित्त वर्ष में 7.4 प्रतिशत रहेगी। इस वैश्विक संस्था का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत सुधर रही है और इसमें कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, सकारात्मक नीतिगत निर्णयों और बेहतर आत्मविश्वास ने काफी मदद मिली है।
अंतरराष्ट्रीय संस्थान ने यह बात वैश्विक आर्थिक संभावनाओं और चुनौतियों के बारे में अपने दस्तावेज नोट ऑन ग्लोबल प्रॉस्पेक्टस एंड पॉलिसी चैलेंज दस्तावेज में कही है।
ग्लोबल प्रॉस्पेक्ट्स ऐंड पॉलिसी चैलेंजेज’ रिपोर्ट में आईएमएफ ने यह भी लिखा है कि भारतीय कंपनियों और बैंकों की बैलेंस शीट की हालत खराब है। हाल में रिफॉर्म की रफ्तार सुस्त पड़ी है और एक्सपोर्ट सेक्टर पर लगातार प्रेशर बना हुआ है। इनका ग्रोथ पर नेगेटिव इंपैक्ट हो सकता है। जी-20 देशों के फ़ाइनैंस मिनिस्टर्स और सेंट्रल बैंक गवर्नर्स की चीन के चेंग्दू में दो दिनों की मीटिंग के लिए तैयार नोट में यह बात कही गई है। यह मीटिंग रविवार को खत्म हो गई। हाल ही में आईएमएफ ने 2016 और 2017 के लिए ग्लोबल इकनॉमिक ग्रोथ के अनुमान में 0.1 पर्सेंट की कटौती की थी। 2016 में उसने ग्लोबल ग्रोथ के 3.1 पर्सेंट और 2017 में 3.4 पर्सेंट रहने की बात कही है।
यह दस्तावेज यहां होने वाली जी20 समूह के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गर्वनरों की यहां चल रही दो दिवसीय बैठक के लिए तैयार किया गया है।