नई दिल्ली. आईटी इंडस्ट्री ने चंद वर्षों में भारत को वह पहचान दिलाई है, जिसे देश के बाकी सभी सेक्टर मिलकर पिछले लगभग 70 साल में नहीं दिला पाए। हालांकि अब आईटी से भी बड़ी चीज दस्तक दे चुकी है। इसका नाम है- इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी)। माना जा रहा है कि आईओटी तरक्की के मामले में देश और दुनिया को वह ऊंचाई दे सकती है, जो अपने स्वरूप, दायरे और असर में आईटी से काफी आगे की चीज होगी। यह अगली औद्योगिक क्रांति की अगुवाई करेगा।
क्या है आईओटी
इंटरनेट ऑफ थिंग्स विभिन्न स्रोतों से आने वाले आंकड़ों को जोड़ने के तरीके विकसित करने पर आधारित है। यह अगली औद्योगिक क्रांति की जननी साबित होने जा रहा है। आईओटी डिवाइसेज, डाटा और इंटरकनेक्शन पर निर्भर है।
क्या होगा असर
आईओटी से इंटरकनेक्टेड एन्वायरमेंट के निर्माण के साथ ही ऑटोमेशन के विस्तार में भी काफी मदद मिलने जा रही है। इससे काम की रफ्तार कई गुना बढ़ने के साथ ही पारदर्शिता और कार्यकुशलता आएगी। इससे भारत की बीपीओ जैसी इंडस्ट्री की कम स्किल वाली जॉब खत्म हो जाएगी और उसकी जगह ऑटोमेशन ले लेगा। इससे बचने का एक मात्र उपाय अपने कौशल को बढ़ाना है। साफ तौर पर जॉब बचाने की चाहत रखने वालों को आईओटी की जरूरतों के अनुरूप खुद को ढालना होगा।
ये होंगी चुनौतियां
इससे पैदा होने वाली चुनौतियों में कम स्किल वाले वर्कर्स की जॉब जाने के साथ ही निजता का मामला भी शामिल है, क्योंकि सभी डाटा एक-दूसरे से जुड़े होंगे और इंटरनेट का काफी बड़ा हिस्सा ऑपन सोर्स सॉफ्टवेयर पर आधारित है।
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