नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) से पैसे की निकासी पर कर लगाए जाने से संबंधित भ्रम की स्थिति को और बढ़ाते हुए मंगलवार को वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस विषय पर आखिरी फैसला अभी नहीं लिया गया है।
मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि भविष्य निधि के सदस्य यदि अपनी निकासी को एन्युइटी कोश में निवेश करेंगे तो उस पर कोई कर नहीं लगाया जाएगा। यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो निकासी के 60 फीसदी हिस्से पर कर लगेगा। अब तक इतना तो स्पष्ट है। भ्रम इस विषय पर है कि सिर्फ एक अप्रैल 2016 के बाद जमा हुए ब्याज पर कर लगेगा या इस तिथि के बाद जमा हुई पूरी राशि पर कर लगेगा। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने पहले कहा था कि सिर्फ ब्याज के हिस्से पर कर लगेगा। बाद में जारी बयान से हालांकि पता चलता है कि इस विषय पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
बयान में कहा गया है कि विभिन्न तबके से मिली प्रतिक्रिया में कहा गया है कि यदि निकासी के 60 फीसदी हिस्से को किसी एन्युइटी योजना में निवेश नहीं किया जाता है, तो कर सिर्फ जमा हुए ब्याज पर लगाया जाए, न कि समस्त जमा पूंजी पर। बयान के मुताबिक, ‘हमसे यह भी अनुरोध किया गया है कि ईपीएफ के तहत नियोक्ताओं के योगदान पर कोई मौद्रिक सीमा न लगाया जाए, क्योंकि राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में भी यह नहीं है। वित्त मंत्री आने वाले समय में इस पर फैसला लेंगे।
वेतनभोगी वर्ग सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली के आम बजट पेश होने के बाद यह समझकर अचंभित और परेशान था कि ईपीएफ से की जाने वाली निकासी के 60 फीसदी कुल हिस्से पर कर लगेगा। इतना ही नहीं, यह पिछली तिथि से प्रभावित होगा। आम बजट 2016-17 पेश करते हुए जेटली ने कहा था कि राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) से निकासी के समय कुल कोष का 40 फीसदी हिस्सा कर मुक्त रहेगा, ताकि यह बचतकर्ताओं के लिए आकर्षक बनी रहे।
जेटली ने कहा था कि कानूनी वारिस को हस्तांतरित होने वाले एन्युइटी कोष पर भी कर नहीं लगेगा। उन्होंने कहा था कि पेंशन कोष और मान्यता प्राप्त भविष्य निधि, जिसमें ईपीएफ शामिल है, के मामले में भी एक अप्रैल (2016) को या उसके बाद किए गए योगदान से बनने वाले कोष के मामले में कोष के 40 फीसदी हिस्से के कर मुक्त रहने का नियम ही लागू होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार कर छूट लाभ के लिए मान्यताप्राप्त भविष्य और पेंशन निधि में नियोक्ता के योगदान पर सालाना 1,50,000 रुपये की सीमा का प्रस्ताव रखती है। कुछ मामलों में एकल प्रीमियम एन्युइटी योजना पर सेवा कर को घटाकर भुगतान किए गए प्रीमियम के 3.5 फीसदी से 1.4 फीसदी कर दिया गया है।
जेटली ने साथ ही एनपीएस द्वारा दी जाने वाली एन्युइटी सेवाओं और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा दी जाने वाली सेवाओं को भी सेवा कर से छूट देने की घोषणा की है। सरकर के प्रस्ताव के विरोध में जाहिर किए जा रहे असंतोष के बाद अधिया का स्पष्टीकरण आया है। अंतर्राष्ट्रीय कर परामर्श और अंकेक्षण कंपनी नांगिया एंड कंपनी की कार्यकारी निदेशक नेहा मलहोत्रा ने कहा कि वित्त विधेयक और अधिया का स्पष्टीकरण समान नहीं है। शायद सरकार प्रासंगिक प्रावधान में बदलाव करेगी।
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