अब चावल बिगाड़ेगा घर का बजट!
एसोचैम ने एक बयान में कहा है, खराब मानसून की वजह से कम पैदावार और इस वजह से चावल का तेजी से घटता भंडार, आने वाले महीनों में कीमतों में उबाल ला सकता है
नई दिल्ली। महंगी दाल की मार सहने के बाद अब चावल की बारी है। एसोसिएटेड चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) ने रविवार को चेतावनी दी कि बहुत जल्द चावल के दाम में भी अत्यधिक ‘उबाल’ आ सकता है। संस्था ने कहा कि चावल का भंडार तेजी से कम हो रहा है और कमजोर मानसून की वजह से उत्पादन घटा है। ऐसे में चावल की कीमत पर नजर रखने की जरूरत है।
एसोचैम ने एक बयान में कहा है, खराब मानसून की वजह से कम पैदावार और इस वजह से चावल का तेजी से घटता भंडार, आने वाले महीनों में कीमतों में उबाल ला सकता है। अगर समय रहते एहतियाती कदम नहीं उठाए गए तो दाल, प्याज और सरसों के तेल के बाद अब चावल की कीमत ग्राहक के पेट में दर्द पैदा कर सकती है।
एसोचैम ने कहा है कि सरकार को अनुमान था कि चावल का उत्पादन 9.061 करोड़ टन होगा। लेकिन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम बारिश की वजह से इस लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल लग रहा है। बहुत हुआ तो 8.90 करोड़ टन तक उत्पादन हो सकता है।
‘कृषि उत्पादन और मूल्यों पर कमजोर मानसून का असरÓ शीर्षक वाले अध्ययन में कहा गया है कि पिछले तीन साल से चावल का भंडार कम हो रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य कल्याणकारी योजनाओं में चावल की खपत का असर खुले बाजार में इसकी उपलब्धता पर पड़ेगा। अगर सरकार ने समझदारी से काम नहीं लिया तो इसका असर खुले बाजार में चावल के दाम पर दिखने लगेगा। एसोचैम ने कहा है कि पानी बचाने के लिए रोपाई के बगैर सीधे लगने वाले धान (डीएसआर) को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
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