अगर मोदी सरकार में बेसिक सैलेरी 15000 रूपये होती है तो यह वर्तमान बेसिक सैलेरी में लगभग ढाई गुना वृद्धि होगी।
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के सभी कर्मचारियों को जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग का लाभ मिलेगा। आयोग अपनी सिफारिशें दिसंबर तक केन्द्र सरकार को दे देगा। हाल ही में सरकार ने वेतन आयोग कमिटी के कार्यकाल को दिसंबर तक बढ़ा दिया था। खबरों के अनुसर सातवां वेतन आयोग अपनी सिफारिशों में वेतन को तीन गुना तक बढ़ाने का प्रस्ताव रख सकता है। ऎसा होने पर कर्मचारियों की न्यूनतम सैलेरी 15000 रूपये प्रति माह हो जाएगी, ऎसा होने का मतलब है कि वर्तमान बेसिक सैलेरी में लगभग तिगुनी वृद्धि।
पे कमीशन की कहानीपहला पे कमीशन 1946 में आया और उस समय बेसिक सैलेरी को बढ़ाकर 35 रूपये किया गया। दूसरा पे कमीशन 1959 में आया और बेसिक सैलेरी 80 रूपये की गई। 1973 में तीसरे पे कमीशन में बेसिक सैलेरी बढ़कर 185 रूपये हो गई। 1986 में चौथे पे कमीशन में 750 रूपये, 1996 में पांचवें पे कमीशन में बेसिक सैलेरी बढ़ाकर 2550 रूपये कर दी गई। 2006 में छठे वेतन आयोग ने बेसिक सैलेरी 6660 रूपये करने की सिफारिश की। गौरतलब है कि पे कमीशन हर 10 में लागू होता है।
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भाजपा सरकार में पहला पे कमीशनयह भाजपा सरकार में लागू होने वाला पहला पे कमीशन होगा। इससे पहले अब तक आए सभी पे कमीशन कांग्रेस राज में ही आए हैं। इनमें से चौथे पे-कमीशन में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई। 1986 में आए चौथे पे कमीशन में लगभग चार गुना बढ़ोत्तरी हुई थी। तीसरे पे कमीशन में बेसिक सैलेरी 185 थी जो चौथे पे कमीशन में बढ़कर 750 रूपये हो गई थी। अब अगर मोदी सरकार में बेसिक सैलेरी 15000 रूपये होती है तो यह वर्तमान बेसिक सैलेरी में लगभग ढाई गुना वृद्धि होगी।
खजाने पर पड़ने वाला वजनसातवें वेतन आयोग लागू होने से राजकोष पर जोरदार असर पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि इससे केन्द्रीय कर्मचारियों का सैलेरी बिल 9.56 प्रतिशत बढ़कर 100619 करोड़ का हो जाएगा। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के चलते केन्द्रीय कर्मचारियों के भत्ते दुगुने हो गए थे। इससे राजकोष से 166792 करोड़ खर्च हुए। इसके साथ ही सरकार पर वन रैंक वन पेंशन पर भी सामंजस्य बिठाना है।