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रेलवे का फैसला, बड़ा होगा आरक्षित टिकट का साइज

Published: May 06, 2016 12:11:00 pm

अब पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के तहत मिलने वाले आरक्षित टिकट 15.6 सेमी लंबा और 9.6 सेमी चौड़ा होगा

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पटना। रेलवे ने अब आरक्षित टिकट के साइज को बढ़ाने का फैसला किया है। यह केवल काउंटर से लिए गए आरक्षित टिकटों पर ही लागू होगा। बढ़े टिकट के आकार पर रेलवे विज्ञापन देगा जो कमाई का एक साधन होगा। विज्ञापन देने वाली कंपनी को ही इस टिकट की छपाई की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इसे पूरी तरह कलरफुल लुक दिया जा सकता है।

टिकट की साइज बढऩे से यात्रियों को हेल्पलाइन नंबर स्पष्ट नजर आएंगे। अभी इन नंबरों पर विज्ञापन प्रिंट होने के कारण यात्रियों को जानकारी नहीं मिल पाती थी। टिकट के नीचे की तरफ रैंडम नंबर, विंडो नंबर, कैटरिंग शिकायत,इंक्वायरी नंबर व पैसेंजर सिक्योरिटी नंबर होते हैं ताकि यात्री मुसीबत में हो या खानपान की क्वालिटी ठीक नहीं हो तो वह संबंधित नंबर पर डॉयल कर अपनी शिकायत दर्ज कराा सकते हैं। अब पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के तहत मिलने वाले आरक्षित टिकट 15.6 सेमी लंबा और 9.6 सेमी चौड़ा होगा। वर्तमान में यह 12.7 सेमी लंबा और 7.2 सेमी चौड़ा होता है। पहले से यह 64 फीसदी अधिक बड़ा होगा।

बढ़े हुए स्पेस का उपयोग विज्ञापन से कवर करेगा। इस संबंध में रेलवे बोर्ड की ओर से सभी जोनल मुख्यालय को पत्र भेजकर बढ़े स्पेस का उपयोग विज्ञापन से भरने को कहा है। पीआरएस टिकट के 30 फीसद क्षेत्र में यात्रियों से संबंधित सूचनाएं प्रकाशित होंगी जबकि शेष बचे 70 फीसद स्पेस में विभिन्न कंपनियों का विज्ञापन होगा। इससे रेलवे की आमदनी भी बढ़ेगी। विज्ञापन के लिए जोन मुख्यालयों को स्वतंत्र छोड़ दिया गया है,जिससे राजस्व संग्रह उनके खाते में ही
जाएगा।

रेल यात्रियों के मुताबिक मौजूदा टिकट को ही आकार की वजह से संभालकर रखना आसान नहीं होता। अगर इसका आकार 64 फीसदी ज्यादा होगा तो इसे अपनी जेब या पर्स में संभालकर रख पाना संभव नहीं होगा। यानि नए आकार के टिकट को मोड़तोड़ कर ही रखना होगा। पीआरएस टिकट का साइज बढ़ाने का सबसे बड़ा नुकसान पर्यावरण को होगा। टिकट का साइज बढ़ाने की वजह से टिकट में कागज की खपत करीब 64 फीसदी ज्यादा होगी यानि बड़े आकार के
टिकट के लिए पेपर बनाने के लिए ज्यादा पेड़ काटने होंगे।
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