scriptबाबाओं ने बिगाड़ी रेलवे की बैलेंसशीट | Railways faces revenue loss due to Indian saints | Patrika News

बाबाओं ने बिगाड़ी रेलवे की बैलेंसशीट

Published: Oct 12, 2015 08:24:00 pm

पिछले दिनों विवादों में घिरे कुछ बाबाओं के सत्संग क्या बंद हुए, रेलवे की बैलेंसशीट ही बिगड़ गई…

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आनंदमणि त्रिपाठी
जयपुर। रेलवे और बाबाओं (धर्म गुरुओं) के बीच सीधा संबंध हो न हो, लेकिन रेलवे की कमाई में बाबाओं का बड़ा हाथ रहा है। पिछले दिनों विवादों में घिरे कुछ बाबाओं के सत्संग क्या बंद हुए, रेलवे की बैलेंसशीट ही बिगड़ गई। विवादास्पद होने की वजह से बाबाओं के सत्संग में पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या कम होती चली गई और इसका नकारात्मक असर रेलवे की कमाई पर दिखने लगा।

रेलवे बोर्ड को उत्तर पश्चिम रेलवे ने यह बताया है कि बरवाला में रामपाल और सिरसा में गुरमीत राम रहीम का सत्संग बंद होने के कारण रेलवे की आमदनी में कमी आई है। उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य वाणिज्य प्रबंधक दीपक छाबड़ा ने रेलवे बोर्ड को आय की कमी के तीन कारण गिनाए हैं। इन कारणों में बाबाओं के सत्संग, अधिमास के कारण त्योहारों का एक माह आगे चले जाना और अजमेर-जोधपुर मंडल में बारिश के कारण रद्द हुई ट्रेनें शुमार हैं।

और यह भी
रेलवे के एक अधिकारी का कहना है कि आसाराम के जेल जाने और जय गुरुदेव के उत्तराधिकार को लेकर हुए शुरुआती विवाद के कारण रेलवे की आय पहले भी इसी तरह से कम हो चुकी है।

अगस्त के पहले 20 दिन का ब्योरा

मंडल  2014 2015 कम यात्री प्रतिशत

अजमेर 76188 57054 19134 25.11
जयपुर 135128 123943 11185 8.28
जोधपुर 84068 65745 18323 21.80
बीकानेर 99947 79598 20349 17.45
(आरक्षित टिकट के मामले को लेकर भी जयपुर और जोधपुर से अजमेर और बीकानेर पीछे हैं )

एेसे दिया रेलवे को झटका

सतलोक आश्रम, बरवाला
हर महीने पांच से सात सत्संग कराने वाले कई मामलों के आरोपी रामपाल हरियाणा की जेल में हैं। जेल जाने के बाद यहां सत्संग बंद हो गया। हिसार रेलवे स्टेशन से मिली जानकारी के अनुसार रेलवे हर माह 40-50 लाख रुपए की अतिरिक्त कमाई करता था। सिर्फ हिसार रेलवे स्टेशन को सत्संग से सालाना होने वाली लगभग 50 करोड़ रुपए की आमदनी में रही 6-7 करोड़ रुपए की कमी की जा सकती है।

डेरा सच्चा सौदा, सिरसा
गुरमीत राम रहीम भी कई आरोपों में घिरे हुए हैं। इस साल में सीबीआई और हरियाणा पुलिस ने छानबीन शुरू की तो यहां भी सत्संग और उनमें पहुंचने वाले अनुयायियों की संख्या घटती चली गई। इसका असर रेलवे की आमदनी पर पड़ा है। रेलवे के एक अधिकारी का कहना है कि डेरे के एक सत्संग में अलग-अलग सभी स्टेशनों को मिलाकर देखें तो एक बार के सत्संग में 30 से 40 लाख तक की आय होती है।
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