scriptमोबाइल ट्रांजैक्‍शन में धोखाधड़ी रोकने के लिए नहीं है कोई कानून | There is no cyber law in country for cheating in mobile transaction | Patrika News

मोबाइल ट्रांजैक्‍शन में धोखाधड़ी रोकने के लिए नहीं है कोई कानून

Published: Dec 02, 2016 06:38:00 pm

अगर कोई उपभोक्‍ता अपने मोबाइल फोन से ट्रांजैक्‍शन के दौरान धोखाधड़ी का शिकार होता है तो उसके पास शिकायत के लिए कोई अभी कोई पुख्‍ता कानून मौजूद नहीं है। 

Mobile Banking

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नई दिल्‍ली. मोदी सरकार मोबाइल ट्रांजैक्‍शन के जरिए कैशलैस इकोनॉमी का रास्‍ता निकालना चाहती है। लेकिन, अगर कोई उपभोक्‍ता अपने मोबाइल फोन से ट्रांजैक्‍शन के दौरान धोखाधड़ी का शिकार होता है तो उसके पास शिकायत के लिए कोई अभी कोई पुख्‍ता कानून मौजूद नहीं है। यानी, ऐसे में उपभोक्‍ताओं के नुकसान की भरपाई फिलहाल भगवान भरोसे ही है।

तकनीकी का विकास हुआ कानून का नहीं

साइबर एक्‍सपर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वकील पवन दुग्‍गल ने पत्रिका को बताया कि अभी साइबर सिक्‍युरिटी के लिए देश में सिर्फ सूचना प्रौद्योगिकी कानून है। यह कानून 2000 में बनाया गया था और सिर्फ 2008 में एक बार इसमें संशोधन कर साइबर सुरक्षा की परिभाषा जोड़ी गई थी। इसके बाद करीब आठ साल बीत चुके हैं और इस दौरान तकनीकी काफी तेजी से विकसित हुई है, लेकिन इस कानून का विकास नहीं हो पाया। आज जो मोबाइल वॉलेट या ट्रांजैक्‍शन की पहल हो रही है वह इस कानून में कहीं परिभाषित ही नहीं है। सरकार को मौजूदा दौर के मुताबिक नए कानून लाने की जरूरत है।

मोबाइल पेमेंट को परिभाषित करने की जरूरत

दुग्‍गल के मुताबिक, सरकार को चाहिए कि मोबाइल पेमेंट या वॉलेट के लिए नियम और जिम्मेदारियां तय करें। अभी तक मोबाइल या वॉलेट के जरिए भुगतान कॉन्टैक्‍ट पेमेंट का रूप है। अब इसे परिभाषित कर एक कानून बनाने की जरूरत है ताकि किसी के साथ धोखाधडी होती है तो वह इसकी शिकायत व्यवस्थित कानून के तहत कर सके और एक निश्चित समयावधि के भीतर अमाउंट उसके खाते में जमा हो सके।

अटूट नहीं ग्राहक-कंपनी का समझौता

अभी उपभोक्‍ता और मोबाइल वॉलेट देने वाली कंपनी के बीच अनुबंध आधारित समझौता है, जिसे कभी भी तोड़ा जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि अब इसे कानून के दायरे में लाया जाए। इससे आम लोगों को भी आर्थिक सुरक्षा मिलेगी और कंपनियों को भी सर्विस में आसानी होगी।

साइबर खतरे की आशंका बढ़ी

आईटी प्रोफेशनल वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि कैशलैस इकोनॉमी की ओर बढऩे के साथ ही साइबर खतरा भी बढ़ गया है। हैकरों के लिए मोबाइल ट्रांजैक्‍शन और वॉलेट यूजर्स सबसे सॉफ्ट टारगेट होंगे। अभी बहुत से लोगों ने वॉलेट यूज करने के लिए ऐप डाउनलोड तो कर लिए हैं लेकिन उन्हें ऑपरेट करने में परेशानी होगी। ऐसे में वे हैकर्स इस मौके को भुना सकते हैं। जिस तेजी से इंटरनेट का प्रसार हुआ उसी तेजी से साइबर क्राइम भी बढ़ा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2011 से 2015 के बीच साइबर क्राइम में 5 गुना की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान करीब सायबर अपराधियों ने करीब 32 हजार बड़े कारनामों को अंजाम दिया, जिनमें से 24 हजार केस ही आईटी एक्‍ट के विभिन्‍न धाराओं के अंतर्गत रजिस्‍टर्ड हुए।
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