नोटबंदी के बाद भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज में भारी गिरावट और पेचीदा कर प्रणाली में सुधार को लेकर इस सेक्टर की नजर आगामी बजट 2017-18 पर है
नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज में भारी गिरावट और पेचीदा कर प्रणाली में सुधार को लेकर इस सेक्टर की नजर आगामी बजट 2017-18 पर है। खासकर यह जीएसटी कर प्रणाली पर अपनी उम्मीदें टिकाए हुए है। वर्तमान में इस सेक्टर को कई उत्पाद शुल्कों और अन्य दूसरे टैक्स देना पड़ता है। कार निर्माता इस बजट से एक्साइज ड्यूटी में सुधार और राहत की उम्मीद कर रहा है। वर्तमान में सेन्ट्रल एक्साइज ड्यूटी वेहिकल के साइज के आधार पर पांच स्लेबों में लगाया जाता है। विभिन्न केसों में यह कर 12-15 फीसदी हो जाता है, जो वेहिकल खरीदते वक्त काफी उलझावपूर्ण स्थिति को पैदा कर देता है।
बदलने की मांग
भारत में वैसी कार जिसकी लंबाई 4 मीटर और उसकी पेट्रोल इंजन 1200 सीसी और डीजल इंजन 1500 सीसी तक होती है उसे छोटी कार की श्रेणी में रखा जाता है। यह परिभाषा भारतीय वेहिकल में नए सुरक्षा बदलावों को लेकर बाधा पहुंचा रहा है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर की प्रमुख मांगें
यामाहा मोटर इंडिया के प्रेजिडेंट (सेल्स एंड मार्केटिंग) रॉय कुरियन के अनुसार नोटबंदी के बाद ऑटोमोबादल उद्योग खासा प्रभावित हुआ है। इस सेक्टर को बूस्ट देने के लिए एक्साइज ड्यूटी कम हो जिससे मेक इन इंडिया कैपन को सपोर्ट मिलेगा।