जयपुर। दिल्ली में 2000 सीसी से ज्यादा डीजल इंजन वाले वाहनों की बिक्री पर रोक के बाद अब देश के अन्य राज्यों में भी प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। इसी के तहत राजस्थान में शहरी परिवहन सेवा के तहत चलने वाले सभी वाहनों की समय सीमा अब 15 साल तय कर दी गई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की भोपाल स्थित सेंट्रल बेंच ने राजस्थान सरकार को आदेश जारी कर कहा है कि 31 मार्च 2016 तक सभी संभाग मुख्यालयों में 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को परमिट नहीं दिए जाएं। जस्टिस दलीप सिंह और एक्सपर्ट मेंबर डॉ. डीके अग्रवाल की बेंच ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि एनसीआर में आने वाले प्रदेश के दो जिलों (भरतपुर, अलवर) में एनसीआर रीजन के लिए बनाई गई गाइडलाइन का पालन किया जाए।
सुनवाई के दौरान एनजीटी ने माना कि शहरी परिवहन में संचालित सिटी बस, टैंपों, मैजिक से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होता है। वहीं जस्टिस दलीप सिंह ने कहा कि अन्य राज्यों के कंडम वाहन (खासतौर पर सिटी बस) राजस्थान व मध्यप्रदेश में खपाए जा रहे हैं।
एनजीटी के अहम फैसले की प्रति परिवहन विभाग के पास पहुंच चुकी है और अब इसकी पालना में कार्ययोजना बनानी शुरू कर दी है। इसके बाद एनजीटी की गाइडलाइन के अनुसार कार्रवाई करके 25 अप्रेल 2016 को पालना रिपोर्ट पेश करनी है। पहले यह आदेश सिर्फ जोधपुर में लागू था, लेकिन अब सभी संभाग मुख्यालयों में लागू करने की तैयारी है।
डीजी सेट पर भी होगी कार्रवाई
फैसले में यह भी कहा है कि शादी सहित अन्य समारोह में चलने वाली डीजल के जनरेटर भी प्रदूषण फैला रहे हैं। एेसे में संभाग मुख्यालयों पर सम्बन्धित विभाग या एजेंसी एेसे जनरेटरों की समय-समय पर जांच करें और निर्धारित स्तर से ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले जनरेटर पर कार्रवाई करे।
एेसे कब होगी वाहनों की जांच
राज्य में अभी 1.33 करोड़ वाहन हैं। इनमें से अप्रेल से नवम्बर 2015 के बीच मात्र 9.45 लाख वाहनों के प्रदूषण की जांच की गई। नए वाहनों को छोड़ भी दें तो लाखों पुराने वाहन एेसे हैं जिन्हें इस जांच के दौर से गुजरना बाकी है।