पुरानी गाड़ी खरीदने में हुई ये गड़बड़ी, कीमत देने पर भी नहीं मिला वाहन
Published: Aug 26, 2015 04:21:00 pm
वित्त संस्थान के गलती मानने के बाद भी उपभोक्ता हो रहा है परेशान, रुपए देने के बाद भी नहीं मिला वाहन
पत्रिका एक्सपोज/इंदौर। एक ग्रामीण ने शहर में आकर अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए अपने पूरी जमापूंजी लगाकर एक गाड़ी खरीदी। बाद में पता चला कि करीब 2.5 लाख के बदले जिस गाड़ी के कागजात उसके हाथों में थमाए गए है वे उस गाड़ी के है ही नहीं। बाद में मामला पुलिस तक पहुंचा, लेकिन हल नहीं निकला। कंपनी ने गलती स्वीकार कर ली है, लेकिन इस पूरे विवाद में एक साल बीत चुका है, लेकिन अब तक न तो खरीददार गाड़ी चला पाया है और न ही अपना पैसा वापस ले पाया है।
मल्टीनेशनल कंपनी से वाहन खरीदना एक वाहन चालक को उस वक्त महंगा पड़ गया, जब पता चला कि कंपनी ने उसे जिस गाड़ी का मालिकाना हक सौंपा उसके कागजात किसी दूसरी गाड़ी के ही निकले। ग्राम भगोरा तहसील महू निवासी संतोष वर्मा ड्रायवर का काम करता था। किराए की गाड़ी चलाकर परिवार के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम भी बमुश्किल हो पाता था। एेसे में उसने जोखिम उठाया और परिस्थितियों को चुनौती देते हुए खुद की गाड़ी खरीदने का मन बनाया।
नई गाड़ी खरीदना तो उसकी हैसियत में नहीं था, इसलिए पुरानी गाड़ी की ही तलाश शुरू की। चोलामंडलम कंपनी की गाडि़यों की नीलामी में उसे एक गाड़ी पसंद आई, जिसे खरीदने के लिए उसने मोटी रकम भी चुकाई। इस लेन-देन के बाद पता चला कि जिस गाड़ी को कागजात सहित उसके सुपुर्द किया है, वह कागज उक्त वाहन के नहीं थे।
पुलिस को शिकायत
मामले का पता चलने के बाद जब संतोष ने पुलिस को शिकायत की तो पुलिस ने कोई कार्रवाई करने से मना कर दिया। इस पर उसने सीएम हेल्पलाइन की मदद ली। मामला हेल्पलाइन में जाने के बाद पुलिस ने योगेश और उसके अन्य साथी को बुलवाया जिसमें 7 दिन के भीतर सही कागजात देने का समझौता हुआ। हालांकि अब तक कागजात नहीं दिए हैं।
दो वाहनों के कागजात
नीलामी में संतोष को 2 लाख 30 हजार रुपए में महींद्रा डीआई 3200 लोडिंग पसंद आ गई, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर एमपी 45 टी 0655 है। यह गाड़ी झाबुआ आरटीओ से रजिस्टर्ड है। इस गाड़ी को खरीदने का अनुबंध उसने बेटमा निवासी योगेश पिता रामचंद्र जाजू से 13 फरवरी 2014 को कर लिया। बाद पता चला कि नीलामी के दौरान बताए गए वाहन के साथ धोखे से महींद्रा मैक्सिमो वेन गाड़ी के गलत पेपर दे दिए गए।
गलत निकले दस्तावेज
संतोष का कहना है कि, गाड़ी के साथ योगेश एवं कंपनी के लोगों के द्वारा मुझे गाड़ी के ट्रांसफर के लिए सभी फार्म दिए गए। आरटीओ फार्म, अनापत्ति प्रमाण पत्र, ट्रांसफर ऑफ इंश्योरेंस दिए गए। इन सभी फार्म को लेकर मैं इंदौर आरटीओ एजेंट के पास पहुंचा। वहां एजेंट ने वाहन ट्रांसफर के लिए फार्म दिए। करीब 15-20 दिनों के बाद आरटीओ एजेंट ने मुझे बताया कि गाड़ी के सारे पेपर गलत है, वह गाड़ी मेक्सिमो वैन है और गाड़ी के कागजात गलत है।
परिवार पर संकट
यह जानकारी मिलने पर मैं योगेश और चोलामंडलम कंपनी के कर्मचारियों से मिला और बताया कि जो कागजात दिए गए है वह गलत है। तब उक्त कर्मचारियों ने मुझसे सारे कागजात मांगने लगे। अब तक सभी ने मेरा करीब 4 लाख रुपए का नुकसान करवा दिया और गाड़ी भी नहीं चला पा रहा हूं। जिससे मेरे और मेरे परिवार पर आर्थिक संकट आ गया है।
यार्ड से गाड़ी भी दी
दूसरी सही गाड़ी महिंद्रा पिकअप एमडीआई 3200 पिकअप रजिस्टे्रशन नंबर एमपी 69जी 0148 अलीराजपुर आरटीओ है। योगेश ने संतोष को 6650 रुपए का एक चैक 22 अप्रैल 2014 को दिया जो कि खाते में पर्याप्त राशि न होने से रिटर्न हो गया। मैंने 5 हजार रुपए भी योगेश को दिए है। अनुबंध के अनुसार यह राशि मैंने एसबीआई बैंक शाखा महू के माध्यम से चोलामंडलम कंपनी को 2 लाख 30 हजार रुपए अदा किए है। इसके बाद उक्त वाहन मैंने बड़वानी यार्ड से 9 हजार रुपए अदा कर प्राप्त कर लिया था।