नई दिल्ली। देश के 11 लाख स्कूली शिक्षकों को दो साल के भीतर प्रशिक्षित करने से संबंधित नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक 2017 राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित कर हो गया। इसके साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। मानव संसाधन विकास मंत्री
प्रकाश जावड़ेकर ने सदन में इस
विधेयक पर तीन घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि गैर प्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए 15 अगस्त से 15 सितंबर तक नि:शुल्क पंजीयन शुरू होगा और यह ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनो होगा। परीक्षा एवं पाठ्य सामग्री के लिए मामूली शुल्क लगेगा। अभी पाठ्यक्रम बनाने का काम जारी है और यह कोर्स स्वयं पोर्टल के माध्यम से शुरू होगा।
यह कोर्स दूरदर्शन के चैनल पर भी उपलब्ध होगा।
उन्होंने कहा कि साल इन शिक्षकों के लिए प्रखंड स्तर पर 12 दिन के शिविर आयोजित किए जाएंगे जिसमें वे सवाल जबाव कर सकेंगें। इसके बाद इन शिक्षिकों को परीक्षा देनी होगी और उन्हें प्रमाणपत्र दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को जनगणना और मतदान को छोड़कर किसी अन्य गैर शैक्षणिक कार्याें में नहीं लगाया जाएगा और लर्निंग आउटकम के लिए सितंबर से आठवीं कक्षा तक के छात्रों की मूल्याकंन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसके लिए स्कूल से लेकर अभिभावक तक को जागरुक किया जाएगा ताकि उन्हें अपने बच्चे की पढ़ाई के बारे सही सही जानकारी मिल सके।
इससे पहले इस विधेयक पर चर्चा में 22 सदस्यों ने भाग लिया और अपने सुझाव दिए। प्रत्येक शिक्षक को 31 मार्च 2015 तक प्रशिक्षण प्राप्त करना या उससे जुड़ी न्यूनतम योग्यता हासिल करना था, लेकिन अब तक 11 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित नहीं किया जा सका जिसके कारण नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 में संशोधन किया गया है। इसके तहत 31 मार्च 2015 से 31 मार्च 2019 तक इन शिक्षिकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।