यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने याची अमित कुमार व अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए हैं
लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आयुर्वेदिक, यूनानी एवं होम्योपैथिक (आयुष) में सरकार द्वारा नीट परीक्षा अनिवार्य किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जानकारी तलब की है। कोर्ट ने जानना चाहा है कि पहले आयुष परीक्षा में नीट अनिवार्य नहीं था तो बाद में सरकार द्वारा लागू क्यों किया गया।
यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने याची अमित कुमार व अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए हैं। याचिका दायर कर कहा गया है कि आयुष को नीट परीक्षा से अलग रखा गया था, लेकिन बाद में सरकार द्वारा शासनादेश जारी कर नीट परीक्षा अनिवार्य कर दी गई। कहा गया कि वर्ष 2017 की मेडिकल प्रवेश परीक्षा में एलोपैथिक एवं डेंटल का कोर्स करने वाले छात्रों को नीट परीक्षा में शामिल किया गया था।
यह भी आरोप लगाया गया कि नीट परीक्षा के विज्ञापन में तथा अन्य नियम कायदों में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया था कि आयुष के छात्रों के लिए भी नीट आवश्यक होगा। राज्य सरकार ने बाद में शासनादेश जारी कर आयुष छात्रों के लिए भी नीट परीक्षा अनिवार्य कर दी। इस शासनादेश की वैधता को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है और कहा गया है कि यह आयुष छात्रों के मौलिक अधिकारों का हनन है । न्यायालय ने सुनवाई के बाद इस मामले में राज्य सरकार से 24 जुलाई को विस्तृत जानकारी तलब की है।