जावड़ेकर ने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षकों के लिए शोध कार्य अनिवार्य किया गया था और उसमें कोई बदलाव नहीं होगा
नई दिल्ली। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री
प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को कहा कि स्नातक स्तर की कक्षाओं में पढ़ाने वाले महाविद्यालय शिक्षकों को पदोन्नति के लिए शोधपत्र देने की अनिवार्यता अब नहीं रहेगी। जावड़ेकर ने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षकों के लिए शोध कार्य अनिवार्य किया गया था और उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। अकादमिक प्रदर्शन मानकों में संशोधन करके महाविद्यालय शिक्षकों की पदोन्नति के लिए शोध कार्य की अनिवार्यता समाप्त करके उनके द्वारा छात्रों एवं समुदायों के वास्ते की जाने वाली गतिविधियों को विचार में लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि असलियत यह है कि पदोन्नति के लिए फर्जी शोध पत्र पेश करने का चलन हो गया है, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। जावड़ेकर ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज और अखिल भारतीय राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार दिल्ली विश्वविद्यालयों में नौ हजार अस्थायी पदों को भरने का प्रयास कर रही है और शिक्षकों को योग्यता के आधार पर नियुक्त किया जाएगा।
प्रतियोगिता ही पदोन्नति का भरोसेमंद तरीकास्थायी नियुक्ति के लिए किसी प्रकार की परीक्षा का विरोध करने वालों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, हमें प्रतियोगिता से झिझकना नहीं चाहिए। राजनीति में भी हर पांच साल में हमें जनता के सामने जाना पड़ता है, चुनाव होते हैं और तब सरकारें बनतीं हैं। प्रतियोगिता ही पदोन्नति का भरोसेमंद तरीका है। किसी भी शिक्षक को हमेशा चर्चा के लिए तैयार रहना चाहिए। संचार ही अच्छे शिक्षक-विद्यार्थी संबंध की कुंजी है।
सुधार अवश्य किया जाएगाविश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) एवं अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) में सुधारों की बात पर उन्होंने कहा कि सुधार अवश्य किया जाएगा, लेकिन इससे पहले सभी पक्षकारों से बातचीत की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ये सुधार अगले सत्र में किए जाएंगे।