शिक्षा नीति बनना ही पर्याप्त नहीं
Published: Oct 03, 2016 07:32:00 pm
देश में शिक्षा की दयनीय स्थिति सभी शिक्षा योजनाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाती है
नई शिक्षा नीति के संबंध मे विभिन्न राजनीतिक दलों के माध्यम से संसद के दोनों सदनों के सदस्य से रायशुमारी की गई। नई शिक्षा नीति पर सभी सदस्यों से 30 सितम्बर तक राय मांगी गई ताकि इसे अमल में लाने मे विलंब न हो। शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। देश में शिक्षा की दयनीय स्थिति सभी शिक्षा योजनाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाती है। इनमें लड़कियों की शिक्षा की स्थिति ज्यादा खराब है। शिक्षा प्रणाली में खामियां होने के कारण बच्चे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। कई क्षेत्र को राजनीतिक भेदभाव की वजह से नजरअंदाज किया जाता है। गांवों में बड़ी आबादी निवास करती है। लेकिन मूलभूत सुविधाओं से वंचित है जिनमें शिक्षा की हालत सबसे बदतर हैं।
वहां के अधिकांश छात्र-छात्राएं प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं। क्योंकि बहुत से गांव में सिर्फ प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक कक्षा तक ही स्कूल है। आगे की पढ़ाई के लिए कई इलाकों में तो घंटों का सफर तय करके विद्यालय जाना पड़ता है। इससे विद्यालय गांव के बच्चों की पहुंच से बाहर हो जाते हैं। इसलिए आगे की पढ़ाई के बजाय शिक्षा को अलविदा कहना पड़ता है। ऐसी स्थिति में लड़कियां और भी जल्दी स्कूल को अलविदा कह देती हैं। गांव के स्कूल में शौचालय की सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है।
कई गांव में लड़कियों की पढ़ाई इसलिए छूट जाती है उनके लिए अलग उच्च विद्यालय नहीं होता है। इस कारण बहुत से लोग लड़कियों सहशिक्षा वाले विद्यालयों में नहीं पढ़ाना चाहते। पहाड़ी क्षेत्रों में आधे रास्तों में सड़क सहीं नहीं होती है जबकि बाकी के रास्ते में सड़क ही नहीं होती है। सड़क सहीं न होने के कारण बड़ी संख्या मे वाहन उपलब्ध नहीं होते हैं और बच्चों को विद्यालय में पहुंचने में दिक्कत होती है।
विद्यालयों में सभी विषयों के शिक्षक उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। शिक्षकों के बहुत से पद खाली पड़े हैं। बच्चों में उत्साह और उल्लास की कमी नहीं है बल्कि सुविधाएं न मिलने के कारण उनके सपने अधूरे रह जाते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि हमारी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए हर तरह से नेक इरादे रखती है और शिक्षा नीति को उत्तम बनाने के लिए नीत नए प्रयास कर रही है लेकिन शिक्षा की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए मात्र शिक्षा नीति मे सुधार लाने की ही नही बल्कि शिक्षित होने के लिए सुविधाओं की ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
सोनिका लांबा