12वीं का सर्टिफिकेट नहीं, फिर भी इस छात्रा को मिला US इंस्टीट्यूट में दाखिला
Published: Aug 30, 2016 07:26:00 pm
12वीं का सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण भारत के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी ने मालविका को प्रवेश देने से मना कर दिया था
मुंबई। 17 वर्षीय मालविका राज जोशी के पास 10वीं या 12वीं क्लास का सर्टिफिकेट नहीं है, फिर भी उसे प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी (एमआईटी) में दाखिला मिल गया है। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में माहरत हासिल होने के कारण मालविका को इस संस्थान में दाखिला मिला है। मुंबई की रहने वाली इस किशोरी को एमआईटी ने विज्ञान की पढ़ाई के लिए छात्रवृति प्रदान की है।
12वीं का सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण भारत के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी ने मालविका को प्रवेश देने से मना कर दिया था। हैरानी वाली बात यह है कि भारत में उसे सिर्फ चेन्नई मैथेमैटिकल इंस्टीट्यूट (सीएमआई) में ही दाखिला मिला। उसका ज्ञान बीएससी के स्तर से अधिक होने के कारण उसे एमएससी के कोर्स में दाखिला दिया गया।
मालविका ने प्रोग्रामिंग ओलंपियाड में दो रजत और एक कांस्य पदक जीता था जिसके बाद उन्हें एमआईटी में 10वीं या 12वीं के सर्टिफिकेट नहीं होने के बावजूद दाखिला मिल गया। एमआईटी के नियम के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड में मेडल जीतने वाले प्रतिभावान छात्र-छात्रा को शोध करने के लिए उन्हें दाखिला देता है।
एमआईटी में दाखिला मिलने में मालविका की मां सुप्रिया का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने चार साल पहले अपनी बेटी को स्कूल से निकाल लिया था और घर पर ही उसकी पढ़ाई पर ध्यान दे देती थी। मां ने बताया कि यह आसान फैसला नहीं था। वह खुद एक एनजीओ में नौकरी कर थी। बेटी के लिए उन्होंने एनजीओ की नौकरी छोड़ दी।
उन्होंने बताया कि बेटी का स्कूल छुड़वाने के लिए पति को बहुत मुश्किलों से मनाया। उनका खुद का व्यवसाय है। वह बेटी का स्कूल छुड़वाने के लिए पहले तो तैयार नहीं हुए थे। हमें इस बात का भय था कि 10वीं और 12वीं का सर्टिफिकेट नहीं होने से बेटी को आगे चलकर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, फिर भी हमने जोखिम लिया। हमारा फैसला आखिरकार सही साबित हुआ।
सुप्रिया ने बताया कि स्कूल छुड़वाने के बाद मैंने भी नौकरी छोड़ दी और घर पर ही पाठ्यक्रम तैयार कर उसे पढ़ाया।