एक स्कूल में 700 बच्चे, मास्टर सिर्फ 2
चाईबासाPublished: Jul 03, 2015 05:43:00 pm
दुनियाभर में एक तरफ डिजिटल इंडिया की बातें की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं दिए जाते हैं।
नरसिंहगढ़। दुनियाभर में एक तरफ डिजिटल इंडिया की बातें की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं दिए जाते हैं। धालभूमगढ़ प्रखंड का सबसे पुराना नरसिंहगढ़ प्लस टू हाई स्कूल है, जहां आज भी बच्चे शिक्षकों के लिए तरस रहे हैं, यहां लगभग सात सौ बच्चों को मात्र दो शिक्षक ही पढ़ाते हैं। कभी इस स्कूल में नेताजी सुभाषचंद्र बोस और विनोबा भावे जैसे महापुरुष आ चुके हैं, लेकिन यहां के बच्चों का भविष्य भगवान की संवारेगा।
स्कूल में स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं रहने के कारण खेल शिक्षक एसएन सिंह प्रभार में हैं। इनके अलावा एक शिक्षिका बांग्ला विषय की सोनाली रजक हैं जबकि हाई स्कूल के लिए कुल ग्यारह शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं। प्लस टू के लिए मात्र चार शिक्षक तथा व्यावसायिक शिक्षा के लिए तीन में एक ही शिक्षक हैं। हाई स्कूल में करीब सात सौ तथा प्लस टू में करीब 110 छात्र हैं।
एसएन सिंह ने बताया कि नौवीं कक्षा में करीब 460 छात्र-छात्राएं हैं। इन्हें दो सेक्शनों में बांटा गया है। एक क्लास में करीब ढाई सौ बच्चे बैठते हैं। इसी प्रकार दसवीं के दो सेक्शन में 238 छात्र हैं। व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्लस टू के शिक्षकों से भी सहयोग लिया जाता है।