चन्दौली. जिले के किसान चिंतित हैं कि धान के कटोरे में कहीं इस केवल बार मुट्ठी भर चावल ही न मिले। अगर ऐसा हुआ तो वह क्या खुद खाएंगे और क्या बच्चों का पेट पालेंगे। उनकी चिंता जायज भी है मानसून सिर पर है और किसान धान की नर्सरी के लिये पूरी तरह से तैयार हैं। पर दिक्कत है धान के बीज। जिले से धान के बीज नदारद हैं। किसी भी समिति पर धान के बीज उपलब्ध नहीं। ऐसे में किसानों को धान की नर्सरी पिछड़ने का डर है। यदि ऐसा हुआ तो निश्चित ही इसका बुरा असर पैदावार पर पड़ेगा।
जिले के किसान मानसून की आहट पाकर धान की नर्सरी की तैयारी में जुट गए हैं, कईयों की तैयारियां पूरी भी हो गई हैं। अब उन्हें चिंता है तो सिर्फ बीज की, क्योंकि किसी भी समिति पर बीज उपलब्ध नहीं है। बीज के लिए किसानों को यहां-वहां भटकना पड़ रहा है। वह भी ऐसे समय जब कि इस वर्ष सरकारी समिति और अन्य केंद्र पर पर्याप्त मात्रा में खाद मौजूद है और इस साल एक लाख 16 हजार 80 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि इतना बड़ा लक्ष्य कैसे पूरा होगा अगर किसानों की नर्सरी ही पिछड़ जाएगी।
याद रहे कि जिले में कुल 83 सहकारी समितियां सक्रीय हैं। इन समितियों पर 280 कुंतल बीज वितरण का लक्ष्य निर्धारित है लेकिन नर्सरी डालने का समय पीक पर होने के बावजूद किसी भी समिति भर बीज उपलब्ध नहीं। सहायक निबंधक सहकारी समिति विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि 1 सप्ताह में बीज आने की संभावना है। दूसरी ओर किसानों की मानें तो विभाग खाद के बफर स्टाक का दावा करता है लेकिन समय से खाद नहीं मिल पाती इससे किसानों को काफी परेशानी होती है। धान की नर्सरी डालने में विलम होता है बाजार में अधिक मूल्य पर धान का बीज खरीदना पड़ता है बीज के प्रति विभागीय कर्मचारी उदासीन बने हुए हैं।