चेन्नई.
स्वाति हत्याकांड के आरोपी रामकुमार जिसने कथित रूप से पूझल केंद्रीय जेल में रविवार को खुदकुशी कर ली थी, के पोस्टमार्टम के वक्त अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का डॉक्टर उपस्थित रहेगा। मद्रास हाईकोर्ट के इस आदेश के साथ सोमवार से अटके रामकुमार के पोस्टमार्टम को आखिरकार अनुमति मिल गई।
उच्च न्यायालय के जज एन. कृपाकरण ने रामकुमार के पिता परमशिवन की याचिका पर यह फैसला दिया। जबकि दो सदस्यीय बेंच के न्यायाधीशों के अलग-अलग निर्णय की वजह से यह मामला तीसरे जज के पास हस्तांतरित हुआ था।
परमशिवन की याचिका थी कि रामकुमार के पोस्टमार्टम के दौरान सरकारी डाक्टरों के अलावा उनकी ओर से निजी फॉरेंसिक विशेषज्ञ डाक्टर को उपस्थित रहने की इजाजत दी जाए। उनके वकील शंकर सुब्बू ने न्यायालय से कहा कि रामकुमार के जेल में आत्महत्या कर लेने के मामले ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। राज्य की जनता भी इस मामले की सच्चाईजानना चाहती है। उनका आरोप है कि जेल में रामकुमार के साथ बुरा बर्ताव होता था। रामकुमार फिर जिन्दा नहीं हो सकता लेकिन उनके पिता को यह जानना है कि उसकी मौत कैसे हुई?
इस पर राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता सी. मणिशंकर ने कहा कि याची की दलील से यह साबित नहीं होता कि जिन डाक्टरों को पोस्टमार्टम की जिम्मेदारी दी गई है वह अपना काम कर पाने में अक्षम हैं। ऐसा भी आशंका नहीं जताई गई है कि वे किसी भी तरह का पक्षपात कर सकते हैं।
दोनों पक्षों की दलील को सुनने के बाद मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश कृपाकरण ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह 27 सितम्बर से पहले रामकुमार का पोस्टमार्टम कराने की व्यवस्था करे। इस दौरान एम्स का डॉक्टर भी होगा और उनके आने-जाने की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। एम्स के डॉक्टर को राज्य सरकार 50 हजार रुपए का भुगतान करेगी। पोस्टमार्टम के बाद रामकुमार का शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया जाए।