scriptजानिए श्रीकृष्ण की कुछ ऐसी बातें जो शायद ही सुनी होगी आप ने | Specific information about Krishna | Patrika News

जानिए श्रीकृष्ण की कुछ ऐसी बातें जो शायद ही सुनी होगी आप ने

locationछिंदवाड़ाPublished: Aug 25, 2016 05:39:00 pm

Submitted by:

Prashant Sahare

जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है
तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम
करते हैं।

Krishna Janmashtami

Krishna Janmashtami

छिंदवाड़ा। जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। कृष्ण भगवान विष्णु के ही एक अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्व पापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं।

आज श्रीकृष्ण का जन्मदिवस है जिसे शहर में जन्माष्टमी उत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। आइए हम आपकों श्रीकृष्ण भागवान के बारे में 24 ऐसी बातें बताएंगे जो शायद ही अपने आज तक सुनी होगी।

यह है वह बाते
1. भगवान श्री कृष्ण के खडग का नाम ‘नंदक, गदा का नाम ‘कौमौदकी और शंख का नाम ‘पांचजन्य था जो गुलाबी रंग का था।

2. भगवान श्री कृष्ण के परमधामगमन के समय ना तो उनका एक भी बाल सफेद था और ना ही उनके शरीर पर कोई झुर्रीं थी।

3.कृष्ण के धनुष का नाम शारंग व मुख्य आयुध चक्र का नाम सुदर्शन था। वह लौकिक, दिव्यास्त्र व देवास्त्र तीनों रूपों में कार्य कर सकता था। उसकी बराबरी के विध्वंसक केवल दो अस्त्र थे पाशुपतास्त्र ( शिव , कृष्ण और अर्जुन के पास थे) और प्रस्वपास्त्र ( शिव , वसुगण , भीष्म और कृष्ण के पास थे) ।

4. कृष्ण की परदादी ‘मारिषा व सौतेली मां रोहिणी( बलराम की मां) ‘नाग जनजाति की थीं।

5. भगवान श्री कृष्ण से जेल में बदली गई यशोदापुत्री का नाम एकानंशा था, जो आज विंध्यवासिनी देवी के नाम से पूजी जाती हैं।

6. भगवान श्री कृष्ण की प्रेमिका ‘राधाÓ का वर्णन महाभारत, हरिवंशपुराण, विष्णुपुराण व भागवतपुराण में नहीं है। उनका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण, गीत गोविंद व प्रचलित जनश्रुतियों में रहा है।

7. जैन परंपरा के मुताबिक, कृष्ण के चचेरे भाई तीर्थंकर नेमिनाथ थे, जो हिंदू परंपरा में ‘घोर अंगिरस के नाम से प्रसिद्ध हैं।
8. भगवान श्री कृष्ण अंतिम वर्षो को छोड़कर कभी भी द्वारिका में 6 महीने से अधिक नहीं रहे।

9. भगवान श्री कृष्ण ने अपनी औपचारिक शिक्षा उज्जैन के संदीपनी आश्रम में मात्र कुछ महीनों में पूरी कर ली थी।

10. ऐसा माना जाता है कि घोर अंगिरस अर्थात नेमिनाथ के यहां रहकर भी उन्होंने साधना की थी।

11. प्रचलित अनुश्रुतियों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने मार्शल आर्ट का विकास ब्रज क्षेत्र के वनों में किया था और डांडिया रास उसी का नृत्य रूप है।

12. कलारीपट्टु का प्रथम आचार्य कृष्ण को माना जाता है। इसी कारण नारायणी सेना भारत की सबसे भयंकर प्रहारक सेना बन गई थी।
13. भगवान श्रीकृष्ण के रथ का नाम ‘जैत्र था और उनके सारथी का नाम दारुक बाहुक था। उनके घोड़ों (अश्वों) के नाम थे शैव्य, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक।

14. भगवान श्री कृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्यामल था और उनके शरीर से एक मादक गंध विावित होती थी।

15. भगवान श्री कृष्ण की मांसपेशियां मृदु परंतु युद्ध के समय विस्तॄत हो जातीं थीं। इसलिए सामान्यत: लड़कियों के समान दिखने वाला उनका लावण्यमय शरीर युद्ध के समय अत्यंत कठोर दिखाई देने लगता था। ठीक ऐसे ही लक्षण कर्ण, द्रौपदी व कृष्ण के शरीर में देखने को मिलते थे।

16. जनसामान्य में यह भ्रांति स्थापित है कि अर्जुन सर्वश्रेष्ठ धर्नुधर थे, परंतु वास्तव में कृष्ण इस विधा में भी सर्वंश्रेष्ठ थे और ऐसा सिद्ध हुआ मद्र राजकुमारी लक्ष्मणा के स्वयंवर में जिसकी प्रतियोगिता द्रौपदी स्वयंवर के ही समान परंतु और कठिन थी।

17. यहां कर्ण व अर्जुन दोंनों असफ ल हो गये और तब श्री कृष्ण ने लक्ष्य भेद कर लक्ष्मणा की इच्छा पूरी की, जो पहले से ही उन्हें अपना पति मान चुकीं थीं।

18. भगवान् श्री कृष्ण ने कई अभियान और युद्धों का संचालन किया था, परंतु इनमे तीन सर्वाधित
भयंकर थे। 1- महाभारत, 2- जरासंध और कालयवन के विरुद्ध, 3- नरकासुर के विरुद्ध

19. कृष्ण ने केवल 16 वर्ष की आयु में विश्वप्रसिद्ध चाणूर और मुष्टिक जैसे मल्लों का वध किया। मथुरा में दुष्ट रजक के सिर
को हथेली के प्रहार से काट दिया।

20. कृष्ण ने असम में बाणासुर से युद्ध के समय भगवान शिव से युद्ध के समय माहेश्वर ज्वर के विरुद्ध वैष्णव ज्वर का प्रयोग कर विश्व का प्रथम ‘जीवाणु युद्ध किया था।

21. भगवान श्री कृष्ण के जीवन का सबसे भयानक द्वंद युद्ध सुभुद्रा की प्रतिज्ञा के कारण अर्जुन के साथ हुआ था। जिसमें दोनों ने अपने अपने सबसे विनाशक शस्त्र क्रमश: सुदर्शन चक्र और पाशुपतास्त्र निकाल लिए थे। बाद में देवताओं के हस्तक्षेप से दोंनों शांत हुए।
22. भगवान श्री कृष्ण ने 2 नगरों की स्थापना की थी द्वारिका और पांडव पुत्रों के द्वारा इंद्रप्रस्थ ( पूर्व में खांडवप्रस्थ)।
23. भगवान श्री कृष्ण ने कलारिपट्टू की नींव रखी जो बाद में बोधिधर्मन से होते हुए आधुनिक मार्शल आर्ट में विकसित हुई।
24. भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भगवतगीता के रूप में आध्यात्मिकता की वैज्ञानिक व्याख्या दी। जो मानवता के लिए आशा का सबसे बडा संदेश थी, है और सदैव रहेगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो