छिंदवाड़ा. नोटबंदी से मची उथलपुथल के बीच एक परिवार के घर में रखे दो लाख रुपए के नोट जल गए वहीं इसके साइड इफेक्ट से कुछ महिलाओं का व्यवसाय चौपट हो गया और उनकी जिंदगी में आग लग गई हैं। इस तपिश की आपबीती को लेकर मंगलवार को ये लोग कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंचे तो वहां उपस्थित जनसमुदाय सन्न रह गया।
बिछुआ विकासखण्ड के ग्राम दातला के रहनेवाले गोपाल डेहरिया अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ नोटों की पोटली लेकर पहुंचा। उसने पोटली में रखे जले दो लाख रुपए के नोट कलेक्टर को दिखाए। उसने बताया कि 20 नवम्बर को दोपहर उसके मकान में आग लग गई और उसमें रखा गृहस्थी का सामान और आलमारी में रखे दो लाख रुपए जल गए। इस क्षति के कारण उसे परिवार समेत बाहर रहना पड़ रहा है। उसने कलेक्टर से मुआवजा राहत देने की मांग की।
इधर, दूसरी कहानी खिरकापुरा की महिलाओं की थी। इन महिलाओं ने माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों से छोटे-छोटे लोन लेकर घरेलू खर्च चलाया तो कुछ ने छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू किए। बड़े नोट की वापसी के बाद कारोबार में मंदी इस तरह आई कि उनका खर्च चलाना मुश्किल हो गया। उल्टे फाइनेंस कम्पनियों का कर्ज बढ़ गया। इस कर्ज के चलते फाइनेंस कम्पनी के कर्मचारी उनके घरों के सामान ले जाने की धमकी दे रहे हैं। इन महिलाओं में से एक संध्या सोनी ने अपने घर की स्थिति बताई तो वहीं दूसरी ने कहा कि कम्पनियों का दबाव बढ़ा तो वे आत्महत्या जैसा कदम उठा सकती है। एेसे में उनका कर्ज माफ किया जाना चाहिए।