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छात्राओं के लिए अलग पीजी कॉलेज की दरकार

locationचित्तौड़गढ़Published: Jul 25, 2015 12:51:00 am

जिला मुख्यालय पर
छात्राओं के लिए अलग से महाविद्यालय होने के बावजूद स्नातकोत्तर (पीजी) तक की
कक्षाओं का संचालन नहीं होने से वे पलायन को मजबूर है।

चित्तौड़गढ़। जिला मुख्यालय पर छात्राओं के लिए अलग से महाविद्यालय होने के बावजूद स्नातकोत्तर (पीजी) तक की कक्षाओं का संचालन नहीं होने से वे पलायन को मजबूर है। या फिर पीजी की पढ़ाई के लिए छात्रों के महाविद्यालय में जाना पढ़ता है। बानगी यह है कि नाम कन्या महाविद्यालय होने के बावजूद पीजी कॉलेज के मुकाबले यहां छात्राओं की संख्या आधी भी नहीं है। लम्बे समय से उठ रही कन्या महाविद्यालय को पीजी करने की मांग पर ध्यान नहीं देने से कई छात्राएं पीजी स्वयंपाठी स्तर पर करने को मजबूर है।

चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर गांधीनगर क्षेत्र में वर्ष 1996 में कन्या महाविद्यालय के लिए शिलान्यास किया था। इस अवधि को भी करीब 20 वर्ष का समय गुजर चुका है। उस समय जिले की जनंसख्या भी कम थी और महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए छात्राएं भी इतनी नहीं थी। इन 20 वर्षो में महाविद्यालय में हालत जस के तस हैं। महाविद्यालय को खुले इतने वर्षो में स्नतकोत्तर तक की कक्षाओं का संचालन हो जाना था लेकिन यहां अब भी स्नातक तक की कक्षाएं ही चल रही हैं। यहां कला, विज्ञान व वाणिज्य तीनों ही संकाय संचालित हैं। इन तीनों ही विषय में स्नातक पढ़ाई के बाद छात्राओं को शहर में उदयपुर मार्ग स्थित महाराणा प्रताप राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्रवेश के लिए जाना पड़ता है।

कन्या महाविद्यालय में अभी भी पर्याप्त संसाधन है कि पीजी की कक्षाओं का संचालन हो सके लेकिन अब तक इस किसी ने ध्यान नहीं दिया। भविष्य में आवश्यकता पड़ती है तो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से निर्माण पर स्वीकृति भी मिल सकती है। जिला मुख्यालय पर पीजी की मांग छात्राओं के लिए अधिक महत्वपूर्ण है लेकिन आज तक यह मांग नहीं पहुंची।

कॉलेज निदेशालय व राज्य सरकार के स्तर पर मांग को पुर जोर तरीके से उठाए तभी कन्या महाविद्यालय को भी पीजी कर पाना संभव है। फिलहाल आलम यह है कि कन्या महाविद्यालय में जितनी छात्राएं नहीं है उससे दोगुनी छात्राएं पीजी कॉलेज में हैं। छात्राओं के लिए स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई के लिए अलग से कॉलेज जरूरी है। राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण जिला मुख्यालय व जिले का एक मात्र कन्या महाविद्यालय पीजी नहीं हो पा रहा है।

स्वयंपाठी स्तर पर होती है पढ़ाई
स्नातक तक पढ़ाई के बाद कई छात्राएं नियमित पढ़ाई नहीं करती हंै। परिजन उन्हें छात्रों के महाविद्यालय नहीं भेजते। ऎसे में कई छात्राओं को स्वयंपाठी स्तर पर ही अध्ययन करना पड़ता है। छात्राएं नियमित महाविद्यालय नहीं जा पाती। वहीं पीजी कॉलेज में भी विद्यार्थियों की संख्या पर इजाफा होता है। कई बार तो उपखण्ड मुख्यालय के महाविद्यालयों से छात्राएं स्नातकोत्तर की कक्षाओं में प्रवेश के लिए प्रयास ही नहीं करतीं। ऎसे में उन्हें स्वयंपाठी कोर्स से ही पढ़ाई करनी पड़ती है। जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। महाविद्यालय में व्याख्याताओं से नियमित पढ़ाई करने व घर बैठ कर पढ़ाई करने में काफी अंतर आ जा है।

यह हैं विषय
राजकीय कन्या महाविद्यालय में सभी विषय पीजी हो सकते हैं। प्रांरभिक तौर पर कला विषय में इतिहास व हिन्दी में घोषणा के साथ ही कक्षाएं संचालित हो सकती हैं। वहीं वाणिज्य वर्ग में व्यावसायिक प्रशासन विषय पर स्नातकोत्तर की कक्षाओं का पीजी स्तर पर संचालन हो सकता है। इस विषय में करीब 300 छात्राएं स्वयंपाठी स्तर पर अध्ययन करती हैं।

भवन की कमी नहीं
जिला मुख्यालय स्थित राजकीय कन्या महाविद्यालय में पीजी की घोषणा के साथ ही कक्षाओं का संचालन होता है तो भी भवन की कमी नहीं है। यहां चार कक्ष का निर्माण ऊपरी तल पर किया जा रहा है। ऎसे में छात्राओं को शीघ्र पीजी की सुविधा दी जा सकती है।
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