चित्तौडग़ढ़. क्रीमियम कांगो और डेंगू और स्वाइन फ्लू के बाद अब जीका वायरस को लेकर भी चित्तौडग़ढ़ जिले सहित प्रदेश भर में अलर्ट घोषित कर दिया गया है। उदयपुर संभाग में अब तक इसकी जांच के लिए फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं है।
अतिरिक्त निदेशक ग्रामीण स्वास्थ्य डॉ. सुनीलसिंह ने जीका वायरस को लेकर राज्य के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क करने के साथ ही जीका बुखार से निबटने की व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए हैं।
क्या है जीका बुखार
जीका बुखार के लिए मच्छरों को ही जिम्मेदार माना गया है। जीका वायरस से होने वाले बुखार में डेंगू की तरह ही शरीर पर चकते, जोड़ों का दर्द, आंखें लाल होने, मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, पीठ दर्द आदि लक्षण दिखाई देते हैं। इस वायरस से बचाव के लिए अब तक कोई वैक्सीन बाजार में नहीं आया है। मच्छरों के काटने से बचाव करके ही इस वायरस से बचा जा सकता है।
गर्भस्थ शिशुओं को है खतरा
सांवलियाजी चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्साधिकारी डॉ. मधुप बक्षी ने बताया कि गर्भवती महिला यदि जीका बुखार से ग्रस्त होती है तो उसका प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पडऩे की संभावना रहती है। इससे गर्भस्थ शिशु में मोइक्रोकीफेली की समस्या यानी शिशु का सिर छोटा हो सकता है।
ऐसे फैलता है जीका वायरस
जीका वायरस के फैलने के लिए हालाकि मच्छर को ही प्रमुख रूप से जिम्मेदार माना गया है, लेकिन पति-पत्नी में से कोई एक भी इससे ग्रस्त है तो शारीरिक संबंधों से भी यह वायरस एक-दूसरे में फैल सकता है। इसके अलावा यात्रा के दौरान भी मच्छर काटने से यह वायरस चपेट में ले सकता है।
बचाव ही है एक मात्र उपचार
जीका बुखार की जांच रियल टाइम पीसीआर से की जा सकती है, लेकिन संभाग में अब तक यह जांच सरकारी स्तर पर उपलब्ध नहीं है। इससे बचाव के लिए अब तक कोई वैक्सीन नहीं है और कोई विशेष दवा भी बाजार में नहीं आई है। रोगी को आराम करने, तरल पदार्थों का सेवन करने के साथ ही चिकित्सक की सलाह से दवा लेकर बचाव किया जा सकता है। हालंाकि राजस्थान में अब तक इस वायरस से पीडि़त कोई भी व्यक्ति नहीं मिला है, लेकिन प्रदेश भर में इसको लेकर अलर्ट घोषित कर दिया गया है।
आखिर कैसे हो बचाव
एक तरफ तो इस वायरस की जांच की सुविधा पूरे उदयपुर संभाग में कहीं भी नहीं और ऊपर से इसका इलाज भी अभी तक उपलब्ध नहीं है। जानकारी के अनुसार अभी अमरीका में जीका वायरस को लेकर अनुसंधान किया जा रहा है और जीका वायरस से लडऩे के लिए वैक्सीन तैयार होने में अभी दो माह से ज्यादा समय लग सकता है। ऐसे में अभी इस वायरस के उपचार का एक ही तरीका है बचाव।
चित्तौड़ में पूरी तैयारी
सीएमएचओ ने बताया कि जीका वायरस को लेकर उच्च स्तर से मिली गाइड लाइन से जिले भर में चिकित्साधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। डेंगू और चिकनगुनिया जैसे मामलों में भी अब जीका बुखार की स्क्रीनिंग करने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि फिलहाल हमारे यहां रियल टाइम पीसीआर जांच की व्यवस्था अब तक नहीं है।
यहां फैल चुका है वायरस
अमरीका, ब्राजील, दक्षिण-मध्य अमरीका में अब तक एक मिलीयन से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक जनरल डॉ. माग्र्रेट भी यह कह चुके हैं कि जीका वायरस विस्फोटक रूप से फैल रहा है और इस साल करीब तीन से चार मिलीयन लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं। जीका बुखार बंदर में देखने को मिला था। वर्ष 2007 में अफ्रीका ओर दक्षिण-पूर्व एशिया में भी जीका वायरस फैलने का पता चला था। वर्ष 2015 में ब्राजील, दक्षिण- मध्य अमरीका में यह बड़े पैमाने पर फैल गया।