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रियल एस्टेट एक्सपो-2016 : नई तकनीक से पर्यावरण का ख्याल

Published: Feb 21, 2016 09:34:00 am

हाइटेक और लग्जरी लिविंग प्रोजेक्ट्स की डिमांड, नए प्रोजेक्ट्स हुए ज्यादा इको फ्रैंडली और अफोर्डेबल

Real estate expo

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जयपुर। गत वर्ष के मुकाबले क्रेडाई एक्सपो इस बार कई मायनों में बड़ा है। एक्सपो में 600 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स डिस्प्ले हुए हैं और हर प्रोजेक्ट पहले के मुकाबले ज्यादा हाइटेक और इको फ्रैंडली हैं। राज्य के प्रमुख बिल्डर एनके गुप्ता ने बताया कि नए प्रोजेक्ट्स में अंतरराष्ट्रीय स्तर की तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जिससे कि ये प्रोजेक्ट हाइटेक के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल भी हों।

एसीसी ब्लॉक

नए प्रोजेक्ट्स में ईंट के स्थान में एसीसी ब्लॉक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, जो पर्यावरण की दृष्टि से लाभकर है। ईंटों के ज्यादा इस्तेमाल से कृषि भूमि को नुकसान हो रहा है, इसलिए बिल्डर्स एसीसी ब्लॉक का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो इको फ्रैंडली उत्पाद है। ये ब्लॉक्स वजन में हलके होते हैं और ज्यादा मजबूती देते हैं।

क्रेडाई से करें ऑनलाइन शिकायत

बिल्डर से परेशान हैं। कब्जा मिलने में देरी हो रही है या पहले से तय शर्तों को बिल्डर नहीं मान रहा है। अचानक आपकी प्रापर्टी पर बिल्डर ने रेट बढ़ा दिए हैं। आपसे ज्यादा वसूली की जा रही है तो अदालती चक्कर लगाने से बेहतर है कि एक बार क्रेडाई के उपभोक्ता शिकायत समाधान फोरम पर संपर्क करें। उपभोक्ता विवाद में क्रेडाई अब अहम भूमिका निभा रहा है। उपभोक्ताओं को कचहरी या वकीलों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। पिछले तीन महीनों के दौरान क्रेडाई के उपभोक्ता फोरम में मध्यस्थता के जरिए रिकॉर्ड मामलों का निपटारा किया गया है। क्रेडाई के इस फोरम में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज सभी मामलों की सुनवाई करते हैं। यहां किसी उपभोक्ता को कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ता है। फोरम के फैसलों को क्रेडाई से जुड़े बिल्डर पूरी तरह लागू करते हैं।

एसीपी तकनीक का इस्तेमाल

बिल्डिंग्स में प्लास्टर के स्थान पर एसीपी शीट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे की बिल्डिंग मजबूत के साथ-साथ हीट ऑबसर्व भी करती है। इससे बिल्डिंग गर्मियों में ठंडी रहती है। यह तकनीक दिल्ली और मुंबई में पहले से ही काम में ली जा रही है। गुप्ता ने बताया कि एसीपी शीटिंग कार्य थोड़ा महंगा होता है, लेकिन इससे प्रोजेक्ट की उम्र डेढ़ गुना बढ़ जाती है।

यूपीवीस विंडो का चलन

बारिश, सर्दी और गर्मियों में लकड़ी व स्टील की विंडोज को बहुत नुकसान होता है, उन्में सीलन व जंग लग जाती है, जिससे उन्हें हर पांच साल में बदलना पड़ता है, जबकि नए प्रोजेक्ट्स में यूपीवीसी विंडो का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो काफी ड्यूरेबल उत्पाद है।

वाटर कंजर्वेशन पर जोर

क्रेडाई एक्सपो में प्रदर्शित ज्यादातर प्रोजेक्ट्स में वाटर कंजर्वेशन का ख्याल रखा गया है। बिल्डर्स का कहना है कि मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में रहने वाले लोग इंडीपेंडेंट घर में रहने वालों से कम पानी का इस्तेमाल करते हैं। एक रिसर्च का कहना है कि फ्लैट में रहने वाल प्रति व्यक्ति करीब 65 लीटर पानी इस्तेमाल करता है, जबकि इंडीपेंडेंट घर में यह आंकड़ा 130 लीटर तक होता है। पानी की कमी को देखते हुए वाटर कंजर्वेशन का कार्य जरूरी होता है, लेकिन बहुत कम लोग इसे अपनाते हैं।

प्री लेमिनेटेड डोर्स से आसानी


बिल्डर हितेश धानुका ने बताया कि नए प्रोजेक्ट्स में तेजी से कार्य के लिए प्री लेमिनेटेड डोर्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये डोर्स रेडीमेड चौकट के साथ आते हैं, जो आसानी से फिट हो जाते है, जिससे प्रोजेक्ट का काफी समय बच जाता है।
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