हैकर्स एलईडी बल्ब को ऐसे पैटर्न में सेट कर सकते हैं जिससे लोगों को मिरगी के दौरे पड़ सकते हैं
नई दिल्ली। आजकल कई कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स में इंटरनेट कनेक्टिविटी दे रही हैं, जिससे की वो एक-दूसरे से इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिए कम्यूनिकेट कर सकें। इसकी वजह से यूजर्स अपनी डिवाइसेज को अपने कंप्यूटर या स्मार्टफोन से कंट्रोल कर सकते हैं। लेकिन हाल ही में आई एक रिसर्च में सामने आया है कि वायरलेस स्मार्ट टेक्नॉलजी लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है। इससे स्मार्ट लॉक्स से लेकर स्मार्ट लैंप तक हैक किए जा सकते हैं। हैकर्स एलईडी लाइट को हैक कर रोशनी का ऐसा झिलमिलाता हुआ पैटर्न सेट कर सकते हैं कि लोगों को मिरगी के दौरे तक पड़ सकते हैं।
वायरलैस टेक्नोलॉजी की खामी बनेगी कारण
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि उन्होंने वायरलेस टेक्नोलॉजी में एक खामी का पता लगाया है। लाइट, स्विच, लॉक और थर्मोस्टैट जैसे स्मार्ट होम वाले डिवाइसेज इस खामी की वजह से हैक किए जा सकते हैं। इजरायल के तेल अवीव के पास स्थित वीजमन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस और कनाडा के हैलीफैक्स की डलहौजी यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने इस खामी का पता लगाया है। इस एक खामी के चलते हैकर बल्बों को अपने कंट्रोल में कर सकते हैं। इससे हजारों इंटरनेट कनेक्टेड डिवाइसेज आसपास रखे हों तो हैकर्स द्वारा बनाया गया मैलवेयर एक डिवाइस से उन सभी में तुरंत फैल सकता है।
यह खामी बनी हैकिंग का कारण
दरअसल यह रिस्क साल 1990 में बनाए रेडियो प्रोटोकॉल जिगबी से पैदा हुआ है। इसका होम कंज्यूमर डिवाइसेज में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इसे सिक्योर तो माना जाता है, मगर इंटरनेट पर इस्तेमाल होने वाले सिक्यॉरिटी मेथड्स इसकी पहचान नहीं करते। रिसर्चर्स के मुताबिक जिगबी स्टैंडर्ड को कंप्यूटर वर्म के रूप में इस्तेमाल करके संदिग्ध सॉफ्टवेयर को फैलाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
हैकर्स कर सकते हैं ऐसा काम
हैकर्स एलईडी लाइट को ऐसे झिलमिलाते हुए पैटर्न में सेट कर सकते हैं कि लोगों को मिरगी के दौरे पड़ सकते हैं या फिर वे असहज हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने इसे साबित करके भी दिखाया है। जिसमें बताया गया है कि फिलिप्स ह्यू बल्ब के कलर और ब्राइटनेस को एक कंप्यूटर या स्मार्टफोन की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है। उन्होंने दिखाया कि कैसे एक बल्ब की मदद से कुछ ही मिनटों में अन्य नजदीकी बल्बों का कंट्रोल भी हासिल किया जा सकता है। वाइरस वाला सॉफ्टवेयर उन लाइट्स पर भी भेजा जा सकता है, जो किसी अन्य नेटवर्क पर हों। हालांकि फिलिप्स ने 4 अक्टूबर को एक पैच जारी करके इस खामी को दूर कर लिया है, लेकिन कमजोर सिक्योरिटी वाले चाइनीज प्रोडक्ट्स पर यह खतरा बना हुआ है।